51_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
व्यवहार में चिन्तारूपी राक्षसी घूमा करती है। वह उसी को ग्रस लेती है, जिसको जगत सच्चा लगता है। जिसको जगत स्वप्नवत् लगता है, उसे परिस्थितियाँ और चिन्ताएँ कुचल नहीं सकती। Pujya asharam ji bapu :-
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