क्या आप सुख चाहते हैं?... तो विषय भोग से सुख मिलेगा यह कल्पना मन से निकाल दीजिये। उसमें बड़ी पराधीनता है। पराधीनता दुःख है। भोग्य वस्तु चाहे वह कुछ भी क्यों न हो, कभी मिलेगी कभी नहीं। इन्द्रियों में भोग का सामर्थ्य सदा नहीं रहेगा। मन में एक-सी रूचि भी नहीं होगी। योग-वियोग, शत्रु-मित्र, कर्म-प्रकृति आदि उसमें बाधक हो सकते हैं। यदि विषयभोग में आप सुख को स्थापित कर देंगे तो निश्चय ही आपको परवश और दुःखी होना पड़ेगा।
Pujya asaram ji bapu:-
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