जैसे मछलियाँ जलनिधि में रहती हैं, पक्षी वायुमंडल में ही रहते हैं वैसे आप भी ज्ञानरूप प्रकाशपुंज में ही रहो, प्रकाश में चलो, प्रकाश में विचरो, प्रकाश में ही अपना अस्तित्व रखो |
फिर देखो खाने-पीने का मजा, घूमने-फिरने का मजा, जीने-मरने का मजा |
Pujya asaram ji bapu :-
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