मैंने सुनी है एक कहानी।
एक बार अंगूर और करेलों की मुलाकात हुई। अंगूरों ने कहाः "हम कितने मीठे-मधुर और स्वादिष्ट हैं। हमको देखकर लोगों के मुँह में पानी आ जाता है। तुम तो कडुवे कडुवे करेले।"
करेलों ने कहाः "बस बस, चुप बैठो। तुमको देखकर लोगों के मन की लोलुपता बढ़ जाती है। तुम्हारा स्वाद लेते हैं, मजा लेते हैं तो उनको सूइयाँ (इंजेक्शन ) चुभानी पड़ती हैं। लोग बीमार होते हैं, मधुप्रमेह (डायबिटीज़) हो जाता है। हम जब लोगों की जिह्वा पर जाते हैं तो कडुवे जरूर लगते हैं, किन्तु लोगों में स्फूर्ति ले आते हैं, डायबिटीज़ को मार भगाते हैं और तन्दुरूस्ती का दान करते हैं। लगते कडुवे हैं पर काम बढ़िया करते हैं।''
कभी-कभी कोई प्रसंग, कोई दुःख आ जाता है तो लगता कडुवा है पर वह दुःख भी सत्संग में भेज देता है। संसार की समस्याएँ भी हरि के चरणों तक पहुँचा देती हैं। दुःख आये तब समझ लेना कि वह करेले का काम करता है।
Pujya asaram ji bapu

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