Sunday, 13 November 2011

 यह चराचर सृष्टिरूपी द्वैत तब तक भासता है जब तक उसे देखनेवाला मन बैठा है | मन शांत होते ही द्वैत की गंध तक नहीं रहती |
Pujya asaram ji bapu :-

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