आपके पास कल्पवृक्ष है। आप जो चाहें उससे पा सकते हैं। उसके सहारे आपका जीवन जहाँ जाना चाहता है, जा सकता है, जहाँ पहुँचना चाहता है, जो बनना चाहता है बन सकता है। ऐसा कल्पवृक्ष हर किसी के पास है।
सुंञा सखणा कोई नहीं सबके भीतर लाल।
मूरख ग्रंथि खोले नहीं करमी भयो कंगाल।।
Pujya asaram ji bapu -
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.