साधक को अपने दोष दिखने लग जाय तो समझो उसके दोष दूर हो रहे हैं। दोष अपने आप में होते तो नहीं दिखते। अपने से पृथक हैं इसलिए दिख रहे हैं। जो भी दोष तुम्हारे जीवन में हो गये हों उनको आप अपने से दूर देखो। ॐ की गदा से उनको कुचल डालो। आत्मशान्ति के प्रवाह में उन्हें डुबा दो।
Pujya asaram ji bapu
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