किसी भी प्रसंग को मन में लाकर हर्ष-शोक के वशीभूत नहीं होना | ‘मैं अजर हूँ…, अमर हूँ…, मेरा जन्म नहीं…, मेरी मृत्यु नहीं…, मैं निर्लिप्त आत्मा हूँ…,’ यह भाव दृढ़ता से हृदय में धारण करके जीवन जीयो | इसी भाव का निरन्तर सेवन करो | इसीमें सदा तल्लीन रहो |
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू :-
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू :-
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