Sunday 23 October 2011



अच्छी दिवाली हमारी

सभी इन्द्रियों में हुई रोशनी है।
यथा वस्तु है सो तथा भासती है।।
विकारी जगत् ब्रह्म है निर्विकारी।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी।।1।।
दिया दर्शे ब्रह्मा जगत् सृष्टि करता।
भवानी सदा शंभु ओ विघ्न हर्ता।।
महा विष्णु चिन्मूर्ति लक्ष्मी पधारी।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी।।2।।
दिवाला सदा ही निकाला किया मैं।
जहाँ पे गया हारता ही रहा मैं।।
गये हार हैं आज शब्दादि ज्वारी।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी।।3।।
लगा दाँव पे नारी शब्दादि देते।
कमाया हुआ द्रव्य थे जीत लेते।।
मुझे जीत के वे बनाते भिखारी।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी।।4।।
गुरु का दिया मंत्र मैं आज पाया।
उसी मंत्र से ज्वारियों को हराया।।
लगा दाँव वैराग्य ली जीत नारी।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी।।5।।
सलोनी, सुहानी, रसीली मिठाई।
वशिष्ठादि हलवाइयों की है बनाई।।
उसे खाय तृष्णा दुराशा निवारी।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी।।6।।
हुई तृप्ति, संतुष्टता, पुष्टता भी।
मिटी तुच्छता, दुःखिता दीनता भी।।
मिटे ताप तीनों हुआ मैं सुखारी।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी।।7।।
करे वास भोला ! जहाँ ब्रह्म विद्या।
वहाँ आ सके न अंधेरी अविद्या।।
मनावें सभी नित्य ऐसी दिवाली।
मनी आज अच्छी दिवाली हमारी।।8।।
                                         ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...