Friday, 14 October 2011

अत्रिनेत्रः शिवः साक्षात् द्विबाहुश्च हरिः स्मृतः |
योऽचतुर्वदनो ब्रह्मा श्रीगुरुः कथितः प्रिये ||

हे प्रिये !  गुरु ही त्रिनेत्ररहित (दो नेत्र वाले) साक्षात् शिव हैं, दो हाथ वाले भगवान विष्णु हैं और एक मुखवाले ब्रह्माजी हैं |

 श्री गुरुगीता

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