साधक यदि अभ्यास के मार्ग पर उसी प्रकार आगे बढ़ता जाये,
जिस प्रकार प्रारम्भ में इस मार्ग पर चलने के लिए उत्साहपूर्वक कदम रखा था,
तो आयुरूपी सूर्य अस्त होने से पहले जीवनरूपी दिन रहते ही अवश्य '
सोऽहम् सिद्धि'
के स्थान तक पहुँच जाये |
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू :-
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