योगवाशिष्ठ
में आता है कि 'चिन्तामणि' के आगे
जो चिन्तन करो
वह चीज मिलती
है लेकिन सत्पुरुष
के आगे जो चीज
माँगोगे वही
चीज वे नहीं
देंगे, मगर
जिसमें
तुम्हारा हित
होगा वही
देंगे।
कामधेनु के आगे
जो कामना
करोगे वह
पदार्थ देगी
लेकिन उससे आपका
भविष्य
सुधरता है या
बिगड़ता है,
आपकी आसक्ति
बढ़ती है या
घटती है यह
कामधेनु की
जवाबदारी
नहीं। उसकी यह
जिम्मेदारी
नहीं है लेकिन
सदगुरु आपके
हित-अहित के
बारे में भली
प्रकार
निगरानी रखते
हैं।
-Pujya Asharam Ji Bapu
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