'श्री
गुरु गीता' में
भगवान शंकर भी
भगवती
पार्वती से
कहते हैं –
यस्य
स्मरणमात्रेण
ज्ञानमुत्पद्यते
स्वयम् ।
सः एव
सर्वसम्पत्तिः
तस्मात्संपूजयेद्
गुरुम् ।।
जिनके स्मरण
मात्र से
ज्ञान अपने आप
प्रकट होने
लगता है और वे
ही सर्व
(शमदमादि)
सम्पदा रूप हैं,
अतः श्री
गुरुदेव की
पूजा करनी
चाहिए।
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