संसार का सुख
क्रिया से आता है, उपलब्ध फल का भोग करने से आता है जबकि आत्मसुख तमाम
स्थूल-सूक्ष्म क्रियाओं से उपराम होने पर आता है। सांसारिक सुख में भोक्ता हर्षित
होता है और साथ ही साथ बरबाद होता है। आत्मसुख में भोक्ता शांत होता है और आबाद
होता है।
-Pujya asharam ji bapu
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