जैसे बचपन
की बुद्धि
आपको अब छोटी
लगती है ऐसे
ही जब भगवान
बुद्धियोग
देंगे तब आज
की बुद्धि भी
आपको बचकानी
लगेगी। दो
पाँच लाख मिल
गये, राजी हो
गये। दो-पाँच
लाख चले गये,
दुःखी हो गये।
जब बुद्धियोग
मिलेगा तब पता
चलेगा कि यह
भी एक बाल्यावस्था
है।
न
खुशी अच्छी है
न मलाल अच्छा
है।
यार
जिसमें रख दे
वह हाल अच्छा
है।।
हमारी
न आरजू है न
जुस्तजू है।
हम
राजी हैं
उसमें जिसमें
तेरी रजा है।।
ऐसी समता
की ऊँचाई पर
आदमी पहुँच
जाता है।
-Pujya asharam ji bapu
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