1487_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
जिस मनुष्य ने भगवत्प्रेमी संतो के चरणों की धूल कभी सिर पर नहीं चढ़ायी, वह जीता हुआ भी मुर्दा है। वह हृदय 
नहीं, लोहा है, जो भगवान के मंगलमय नामों का श्रवण-कीर्तन करने पर भी पिघलकर उन्हीं की ओर बह नहीं जाता।
Shrimad Bhagwat 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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