1482_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
श्री वशिष्ठ जी महाराज कहते हैं- 'हे राम जी! तृष्णावान के हृदय में संत के वचन नहीं ठहरते। तृष्णावान से तो वृक्ष भी भय पाते हैं' इच्छा-वासना-तृष्णा आदमी की बुद्धि को दबा देती है
-श्री वशिष्ठ जी महाराज
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