ज्ञानपूर्वक अनुभव करो कि मैं किसी भी काल में देह नहीं हूँ
और न देह मेरा है। आस्था श्रद्धा विश्वास पूर्वक
स्वीकार करो कि अपने में अपने प्रेमास्पद परमेश्वर सदैव
मौजूद हैं। बस, यही सफलताकी कुंजी है।
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