Tuesday, 30 December 2014

1286_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



~~~~ मधुर व्यवहार ~~~
असत्य, निंदा, चुगलखोरी और कठोरता - यह वाणी के पाप हैं ।

हित, मिट, शांत, मधुर और प्रिय भाषण - यह पाँच वाणी के गुण हैं ।

आप अमानी रहो । औरों को मान दो ।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday, 22 December 2014

1285_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिस समय जो काम करो, बड़ी सूक्ष्मदृष्टि से करो, लापरवाही नहीं, पलायनवादिपना नहीं। जो काम करो, सुचारू रूप से करो। बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय काम करो। कम-से-कम समय लगे और अधिक से अधिक सुन्दर परिणाम मिले इस प्रकार काम करो। ये उत्तम कर्त्ता के लक्षण हैं।

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday, 11 December 2014

1284_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मन को उदास मत करो। सदैव प्रसन्नमुख रहो। हँसमुख रहो। तुम आनन्दस्वरूप हो। भय, शोक, चिन्ता आदि ने तुम्हारे लिए जन्म ही नहीं लिया है, ऐसी दृढ़ निष्ठा के साथ सदैव अपने आत्मभाव में स्थिर रहो।

 -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu



Wednesday, 10 December 2014

1283_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



 ईश्वर का स्मरण करते-करते काम करो। इसकी अपेक्षा काम ईश्वर का समझकर तत्परता से करो यह श्रेष्ठ है।जिस समय जो शास्त्र अनुमोदित काम करते हो उसमें तत्पर हो जाओ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Tuesday, 9 December 2014

1282_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



गुणग्राहि बने..

"हे रामजी ! संत में एक भी सदगुण दिखे तो लाभ ले लें। उनमें दोष देखना और सुनना अपने को मुक्तिफल से वंचित करके अशांति की आग में झोंकने के बराबर है।

'श्री योगवाशिष्ठ महारामायण'
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