Sunday, 31 July 2016

1467_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



श्रद्धा बनी रहे उसके लिए क्या करना चाहिए ?

 अपनी श्रद्धा, स्वास्थ्य और सूझबूझ को बुलंद बनाये रखने एवं विकसित करने के लिए अपना आहार शुद्ध रखें । यदि असात्त्विक आहार के कारण मन में जरा भी मलिनता आती है तो श्रद्धा घटने लगती है । अत: श्रद्धा को बनाये रखने के लिए आहार शुद्धि का ध्यान रखें ।पवित्र संग करें, सत्संग में जायें एवं पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करें ।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday, 30 July 2016

1466_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

उत्तिष्ठ कौन्तेय

पेड़ पर एक कीड़ा चड़ रहा है । हवा का झोंका आया और गिर पड़ा । फिर उसने चढ़ना शुरु किया । हवा का दूसरा झोंका आया और फिर गिर पड़ा । ऐसे वह कीड़ा सात बार गिरा और चढ़ा । आखिर वह आठवीं बार में चढ़ गया ।यह तो संदेश है । एक साधारण कीड़ा अपने लक्ष्य पर पहुँच जाता है और मैं इन्सान होकर पीछे हट जाऊँ?

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday, 29 July 2016

Thursday, 28 July 2016

1464_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

द्वेष बुद्धि से तो श्रीकृष्ण, श्रीराम, संत कबीर आदि दुनिया के सभी संतों में दोष देखने को मिलेंगे। उनके यश को देखकर निंदा करने वाले भी बहुत मिलेंगे, परंतु गुणग्राहियों ने संत-महापुरुषों से लाभ उठाया है और अपना जीवन सफल किया है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday, 27 July 2016

1463_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अति नींद करने वाला, जड़, स्थूलकाय, निष्क्रिय, आलसी एवं मूर्ख मन का शिष्य गुरू संतुष्ट हों, इस प्रकार उनकी सेवा नहीं कर सकता।जिस शिष्य में उपदेश के आचरण का गुण होता है वह अपने गुरू की सेवा में सफल होता है। आबादी एवं अमरत्व उसको आ मिलते है।

--Shri Sivananda Saraswati

Tuesday, 26 July 2016

1462_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जैसे भगवान निर्वासनिक हैं, निर्भय हैं, आनन्दस्वरूप हैं, ऐसे तुम भी निर्वासनिक और निर्भय होकर आनन्द में रहो। यही उसकी महा पूजा है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday, 25 July 2016

1461_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भगवन कहते हैं: जैसे कोई व्यक्ति आँखों में शूल नहीं भोंकना चाहता ऐसे ही समझदार व्यक्ति अपने आप को विषयों के शूल नहीं भोंकना चाहता। जैसे कोई भी समझदार मनुष्य अपने भोजन में विष नहीं डालना चाहता, ऐसे ही हे उद्धव !जिज्ञासु व्यक्ति अपने जीवन में विषयों का विष नहीं डालना चाहता।

Sunday, 24 July 2016

1457_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

>>>समाहित चित्त<<<

ज्ञानी का राग तो संसार में है नहीं। उसका राग तो परमात्मा में है और परमात्मा सब जगह मिलते हैं, परमात्मा सर्वत्र मौजूद हैं, परमात्मा ज्ञानी का अपना आपा होकर बैठे हैं। इसलिए ज्ञानी को कोई भी सासांरिक परिस्थिति का राग नहीं है। राग नहीं है तो द्वेष भी नहीं है। राग द्वेष नहीं है तो उसका चित्त सदा समाहित है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday, 23 July 2016

1456_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जैसे स्वप्न-जगत जाग्रत होने के बाद मिथ्या लगता है वैसे ही यह जाग्रत जगत अपने आत्मदेव को जानने से मिथ्या हो जाता है। जिसकी सत्ता लेकर यह जगत् बना है अथवा भासमान हो रहा है उस आत्मा को जान लेने से मनुष्य जीवन्मुक्त हो जाता है।गहरी वास्तविकता में तुम आत्मा हो, ईश्वर हो, सर्वशक्तिमान हो। सतगुरु यह सत्य तुम्हारे जीवन में प्रगट होने की प्रतीक्षा कर रहें है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Thursday, 21 July 2016

1454_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

उठ जाओ और वैराग्य का आश्रय लो। जैसे साईकल के पहिए निकाल दो तो साईकल चलना मुश्किल है ऐसे ही जीवन से अभ्यास और वैराग्य हटा दो तो प्रभु की यात्रा होना मुश्किल है।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday, 20 July 2016

1453_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


कह रहा है आसमाँ यह समाँ कुछ भी नहीं ।
रोती है शबनम कि नैरंगे जहाँ कुछ भी नहीं ..
जिनके महलों में हजारों रंग के जलते थे फानूस ।
झाड़ उनकी कब्र पर है और निशाँ कुछ भी नहीं ..
जिनकी नौबत से सदा गूँजते थे आसमाँ ।
दम बखुद है कब्र में अब हूँ न हाँ कुछ भी नहीं ..
तख्तवालों का पता देते हैं तख्ते गौर के ।
खोज मिलता तक नहीं वादे अजां कुछ भी नहीं ..

Monday, 18 July 2016

1452_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोsस्तु ते।।

हे आदिदेव सूर्यनारायण! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। हे प्रकाश प्रदान करने वाले देव! आप मुझ पर प्रसन्न हों। हे दिवाकर देव! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। हे तेजोमय देव! आपको मेरा नमस्कार है।

Sunday, 17 July 2016

1451_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


बाहर कैसी भी घटना घटी हो, चाहे वह कितनी भी प्रतिकूल लगती हो, परन्तु तुम्हें उससे खिन्न होने की तनिक भी आवश्यकता नहीं, क्योंकि अन्ततोगत्वा होती वह तुम्हारे लाभ के लिए ही है। तुम यदि अपने-आपमें रहो तो तुम्हें मिला हुआ शाप भी तुम्हारे लिए वरदान का काम करेगा।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Saturday, 16 July 2016

1450_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

परमात्मा से मिलने की तड़प हो तो परमात्मा का मिलना असंभव नहीं है। अभी से कर लो निर्णय की 'पाना है तो परमात्मा को पाना है। कहीं नहीं फँसना है। कहीं नहीं रूकना है।' समय मत गँवाओ। व्यर्थ की वस्तुओं में फँसकर जीवन व्यर्थ मत करो। सार्थक सत्यस्वरूप का साक्षात्कार करने के लिए कमर कसो

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Friday, 15 July 2016

1449_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं। संत मिलन सम सुख जग नाहीं ॥ 
पर उपकार बचन मन काया। संत सहज सुभाउ खगराया ॥॥

 भावार्थ:-जगत् में दरिद्रता के समान दुःख नहीं है तथा संतों के मिलने के समान जगत् में सुख नहीं है। और हे पक्षीराज! मन, वचन और शरीर से परोपकार करना, यह संतों का सहज स्वभाव है॥॥

Thursday, 14 July 2016

1448_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

>>>सर्वोच्च शिखर<<<

दुनियाँ मेरा शरीर है सम्पूर्ण विश्व मेरा शरीर है। जो ऐसा कह सकता है वही आवागमन के बन्धन से मुक्त है। वह तो अनन्त है। कहाँ जायेगा और कहाँ से आयेगा ? सारा विश्वब्रह्मांड उसमें हैं।वेदान्त रसायनविद्या है के समान प्रयोगत्मक विज्ञान है।वेदान्त निराशावाद नहीं है। वह तो आशावाद का सर्वोच्च शिखर है।किसी भी प्रसंग को मन में लाकर हर्ष, शोक के वशीभूत मत हो जाना। मैं अजर हूँ, अमर हूँ। मेरा जन्म नहीं, मेरी मृत्यु नहीं। मैं निर्लिप्त आत्मा हूँ। यही भावना दृढ़ रीति से हृदय में धारण करके जीवन व्यतीत करना, इसी भाव की निरन्तर सेवा करना और उसी में तल्लीन रहना।मुक्ति अथवा आत्मज्ञान यह तेरे ही हाथ में है। अमुक क्या कहता है क्या नहीं, इस पर यदि ध्यान दिया करें तो कुछ काम नहीं कर सकते।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Wednesday, 13 July 2016

1447_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

निश्चय रखना चाहिये कि संसार से हमें जाना अवश्य है और सब कुछ यहीं छोड़ कर जाना होगा ; साथ में कुछ नहीं जायगा यह भी निश्चित है। जब साथ में कुछ ले नहीं जाना है तो जब तक यहाँ रहो निश्चिन्तता से रहो। व्यर्थ की चिन्तायें बना कर अशान्ति मत भोगो

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Tuesday, 12 July 2016

1446_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आखिरी उपलब्धि

मनोबल बढ़ाकर आत्मा में बैठ जाओ, आप ही ब्रह्म बन जाओ। संकल्प बल की यह आखिरी उपलब्धि है।अपने को परिस्थितियों का गुलाम कभी न समझो। तुम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हो।

-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu

Monday, 11 July 2016

1445_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



~~~~ गुरु तो गुरु होते है  ~~~~

गुरू जीवित है तब भी गुरू, गुरू होते हैं और गुरू का शरीर नहीं होता तब भी गुरू गुरू ही होते हैं।
गुरू नजदीक होते हैं तब भी गुरू गुरू ही होते हैं और गुरू का शरीर दूर होता है तब भी गुरू दूर नहीं होते।
गुरू प्रेम करते हैं, डाँटते हैं, प्रसाद देते हैं, तब भी गुरू ही होते हैं और गुरू रोष भरी नजरों से देखते हैं, ताड़ते हैं तब भी गुरू ही होते हैं। 


  -Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
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