Friday, 31 March 2017

1588-Pujya Asaram Bapu Ji | विश्रांति के तिन उपाय


 विश्रांति के तिन उपाय | बापू जी 


विश्राम मिलता है तीन प्रकार से या तो जाने हुए के आदर से, या तो मिले हुएके सदुपयोग से, या
अनन्त की शरणागति से।

Tuesday, 28 March 2017

1587-Pujya Asaram Bapu Ji | परमात्म तत्व से आत्मा का एकत्व

 परमात्म तत्व से आत्मा का एकत्व | Bapu Ji

यदि विवेकपूर्वक अपनेको देह न स्वीकार किया जाय, तो मन स्वभावसे ही चिन्तन रहित होकर उस
चेतन में विलीन हो जाता है, जिससे हमारी जातीय तथा स्वरूप की एकता है।

Wednesday, 22 March 2017

1586-Pujya Asaram Bapu Ji | सुख की भ्रांति

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 सुख की भ्रांति  - bapu ji

जो प्राणी शरीर को काम वासनाओं की पूर्त्ति का साधन 
मानते हैं, वे न तो मनुष्यता पाते हैं, न सच्चा सुख।

Monday, 13 March 2017

1585-Pujya Asaram Bapu Ji | साधन सिद्धि का सूत्र

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साधन सिद्धि का सूत्र | Bapu ji


जो मनुष्य अपने शरीर से सम्बन्ध नहीं तोड़ सकता, वह संसार से भी नहीं तोड़ सकता। सम्बन्ध
रखते हुए यदि वह हिमालय पर चला जाय तो भी उसका चित्त शान्त और शुद्ध नहीं हो सकता।

Friday, 10 March 2017

1584-Pujya Asaram Bapu Ji | ओमकार जप

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ओमकार जप | Bapu ji

ओम् का जप करने का अर्थ यही है कि ‘मैं शरीर नहीं, बल्कि आनन्दघन आत्मा हूँ’

Wednesday, 8 March 2017

1583-Pujya Asaram Bapu Ji | वही सामर्थ्यवान है

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वही सामर्थ्यवान है | Bapu ji

सामर्थ्यशाली वही है, जो बलका दुरुपयोग तथा विवेक का अनादर नहीं करता, और जिसकी
प्रसन्नता किसी और पर निर्भर नहीं रहती, एवं जो सभी के लिये उपयोगी तथा हितकर सिद्ध होता है।
जिससे कभी किसीका अहित नहीं होता, वही सामर्थ्यवान है।
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