Friday, 30 November 2012
Thursday, 29 November 2012
Wednesday, 28 November 2012
939_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
जोगी मत जा पाँव पड़ूँ मैं तोरी
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मत जा मत जा मत जा जोगी
पाँव पड़ूँ मैं तोरी
प्रेम भक्ति को पंथ ही न्यारो
हम को ज्ञान बता जा
चंदन की मैं चिता रचाऊँ
अपने हाथ जला जा
मत जा मत जा मत जा जोगी ...
जल जल भई भस्म की ढेरी
अपने अंग लगा जा जोगी
मीरा के प्रभू गिरिधर नागर
ज्योत में ज्योत मिला जा जोगी
मत जा मत जा मत जा जोगी ...
Tuesday, 27 November 2012
Monday, 26 November 2012
Sunday, 25 November 2012
Saturday, 24 November 2012
Friday, 23 November 2012
Thursday, 22 November 2012
Wednesday, 21 November 2012
Tuesday, 20 November 2012
924_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
योगवाशिष्ठ
में आता है कि 'चिन्तामणि' के आगे
जो चिन्तन करो
वह चीज मिलती
है लेकिन सत्पुरुष
के आगे जो चीज
माँगोगे वही
चीज वे नहीं
देंगे, मगर
जिसमें
तुम्हारा हित
होगा वही
देंगे।
कामधेनु के आगे
जो कामना
करोगे वह
पदार्थ देगी
लेकिन उससे आपका
भविष्य
सुधरता है या
बिगड़ता है,
आपकी आसक्ति
बढ़ती है या
घटती है यह
कामधेनु की
जवाबदारी
नहीं। उसकी यह
जिम्मेदारी
नहीं है लेकिन
सदगुरु आपके
हित-अहित के
बारे में भली
प्रकार
निगरानी रखते
हैं।
-Pujya Asharam Ji Bapu
Monday, 19 November 2012
Sunday, 18 November 2012
920_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
विश्वं स्फुरति
यत्रेदं तरंगा इव
सागरे।
तत्त्वमेव न सन्देहश्चिन्मूर्ते
विज्वरो भव ।।
श्रद्धत्स्व तात
श्रद्धत्स्व
नात्र मोहं कुरुष्व
भोः।
ज्ञानस्वरूपो भगवानात्मा
त्वं प्रकृतेः
परः।।
'जहाँ से
यह संसार,
सागर में
तरंगों की तरह
स्फुरित
होता है सो तू
ही है, इसमें
सन्देह नहीं।
हे चैतन्यस्वरूप
!
संताप रहित
हो। हे सौम्य ! हे
प्रिय ! श्रद्धा
कर, श्रद्धा
कर। इसमें मोह
मत कर। तू ज्ञानस्वरूप,
ईश्वर,
परमात्मा,
प्रकृति से
परे है।'
(अष्टावक्रगीता)Saturday, 17 November 2012
Friday, 16 November 2012
917_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
मुस्कुराकर
गम का जहर
जिनको पीना आ
गया।
यह
हकीकत है कि
जहाँ में उनको
जीना आ गया।।
सुख
और दुःख हमारे
जीवन के विकास
के लिए
नितान्त
आवश्यक है।
चलने के लिए
दायाँ और
बायाँ पैर
जरूरी है, काम
करने के लिए
दायाँ और
बायाँ हाथ
जरूरी है,
चबाने के लिए
ऊपर का और
नीचे का जबड़ा
जरूरी है वैसे
ही जीवन की उड़ान
के लिए सुख व
दुःखरूपी दो
पंख जरूरी
हैं।-Pujya Asharam Ji Bapu
916_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
-Pujya Asharam Ji Bapu
Thursday, 15 November 2012
Tuesday, 13 November 2012
912_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
प्रसन्नता और समता
प्रसन्नता बनाये रखने और उसे बढ़ाने का एक सरल उपाय यह है कि सुबह अपने कमरे में बैठकर जोर-से हँसो । आज तक जो सुख-दु:ख आया वह बीत गया और जो आयेगा वह बीत जायेगा । जो होगा, देखा जायेगा । आज तो मौज में रहो ।-Pujya Asharam Ji Bapu
Sunday, 11 November 2012
908_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
दीपावली पर लक्ष्मीप्राप्ति की सचोट साधना-विधि
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धनतेरस से आरंभ करें
सामग्रीः
दक्षिणावर्ती
शंख, केसर,
गंगाजल का
पात्र, धूप
अगरबत्ती,
दीपक, लाल
वस्त्र।
विधिः
साधक
अपने सामने
गुरुदेव व
लक्ष्मी जी के
फोटो रखे तथा
उनके सामने
लाल रंग का
वस्त्र (रक्त
कंद) बिछाकर
उस पर दक्षिणावर्ती
शंख रख दे। उस
पर केसर से
सतिया बना ले
तथा कुमकुम से
तिलक कर दे।
बाद में
स्फटिक की
माला से मंत्र
की 7 मालाएँ
करे। तीन दिन
तक ऐसा करना
योग्य है। इतने
से ही मंत्र-साधना
सिद्ध हो जाती
है। मंत्रजप
पूरा होने के
पश्चात् लाल
वस्त्र में
शंख को बाँधकर
घर में रख
दें। कहते हैं
– जब तक वह शंख
घर में रहेगा,
तब तक घर में
निरंतर उन्नति
होती रहेगी।
मंत्रः
ॐ ह्रीं ह्रीं
ह्रीं
महालक्ष्मी
धनदा लक्ष्मी
कुबेराय मम
गृह स्थिरो
ह्रीं ॐ नमः।
(स्रोत - पर्वों का पुंज-दीपावली )
(स्रोत - पर्वों का पुंज-दीपावली )
Saturday, 10 November 2012
Friday, 9 November 2012
Thursday, 8 November 2012
Wednesday, 7 November 2012
Tuesday, 6 November 2012
898_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
-Pujya asharam ji bapu
Monday, 5 November 2012
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