Wednesday, 31 October 2012

889_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

साधक का लक्ष्य परमात्मा है और संसारी का लक्ष्य तुच्छ भोग है। संसारी की धारा चिन्ता के तरफ जा रही है और साधक की धारा चिन्तन के तरफ जा रही है।
-Pujya asharam ji bapu

Monday, 29 October 2012

888_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

पर के चिन्तन से हमारी
शक्ति क्षीण होती है ।
स्व (आत्म-परमात्मा)
के  चिन्तन से शक्ति
जागृत होती है, बढ़ती है।


-Pujya asharam ji bapu

887_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जननी जने तो भक्तजन या दाता या शूर।
नहीं तो रहना बाँझ ही, मत गँवाना नूर।।

Sunday, 28 October 2012

886_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

  शरद पूनम पर विशेस प्रयोग-

------------------

कोई गुस्सैल अशांत हो तो :-

अभी शरद पूनम आयेगी | जिस पत्नी का पति झगडालू हो, गुस्सेबाज हो, चिडचिडा हो अथवा जरा-जरा बात में कोई भी भड़क जाता हो, भड्कू हो तो पूनम की रात खीर बनाओ और 8 बजे की बनी हुई, 7 बजे की बनी हुई खीर पूनम के चंद्रमा के किरण उसमे पड़े, नेट से, जाली से या मलमल के कपडे से ढंक दो | बीच-बीच में चांदी का चम्मच, चांदी की कटोरी हो तो अच्छा है खीर हिलाओ और वो चंद्रमा की किरणों वाली खीर पति को खिलाओ | कितना भी झगड़ेबाज, गुस्सेबाज, अशांत व्यक्ति शांत हो जायेगा, झगड़े शांत हो जायेगे |
 -Pujya asharam ji bapu

885_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

शरद पूनम की हार्दिक सुभकामनाये
-----------
जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। जिनको दमे की बीमारी हो वे नजदीक के किसी आश्रम या समिति से सम्पर्क के साथ लेना। दमा मिटाने वाली बूटी निःशुल्क मिलती है, उसे खीर में डाल देना। जिसको दमा है वह बूटी वाली खीर खाये और घूमे, सोये नहीं, इससे दमे में आराम होता है। दूसरा भी दमा मिटाने का प्रयोग है। अंग्रजी दवाओं से दमा नहीं मिटता लेकिन त्रिफला रसायन 10-10 ग्राम सुबह शाम खाने से एक महीने में दमे का दम निकल जाता है।
इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग, कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।
-Pujya asharam ji bapu

884_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आश्चिन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा कहलाती है. वर्ष 2012 में शरद पूर्णिमा 29 अक्तूबर,दिन सोमवार की रहेगी. इस पूर्णिमा को कोजोगार पूर्णिमा व्रत और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है . इस दिन चन्द्रमा व सत्य भगवान का पूजन, व्रत, कथा की जाती है. शरद पूर्णिमा के विषय में विख्यात है, कि इस दिन कोई व्यक्ति किसी अनुष्ठान को करें, तो उसका अनुष्ठान अवश्य सफल होता है.

तीसरे पहर इस दिन व्रत कर हाथियों की आरती करने पर उतम फल मिलते है. ज्योतिषिय नियमों के अनुसार इसी दिन चन्द्र अप

नी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. कुछ क्षेत्रों में इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है. इस दिन के संदर्भ में एक मान्यता प्रसिद्ध है, कि इस दिन भगवान श्री कृ्ष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था. इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृ्त वर्षा होने की किवदंती प्रसिद्ध है. इसी कारण इस दिन खीर बनाकर रत भर चांदनी में रखकर अगले दिन प्रात: काल में खाने का विधि-विधान है.

घी मिश्रित खीर तैयार करे और बहुत-से पात्रों में डालकर उसे चन्द्रमा की चाँदनी में रखें। जब एक प्रहर (३ घंटे) बीत जाएँ, तब लक्ष्मीजी को सारी खीर अर्पण करें। तत्पश्चात भक्तिपूर्वक सात्विक ब्राह्मणों को इस प्रसाद रूपी खीर का भोजन कराएँ और उनके साथ ही मांगलिक गीत गाकर तथा मंगलमय कार्य करते हुए रात्रि जागरण करें।
======================================
शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्त्व है। इस रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत-तत्त्व बरसता है। चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषकशक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है।
आज की रात्रि चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है और उसकी उज्जवल किरणें पेय एवं खाद्य पदार्थों में पड़ती हैं तो उसे खाने वाला व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। उसका शरीर पुष्ट होता है। भगवान ने भी कहा हैः
पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।
'रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूँ।' (गीताः15.13)
आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो चन्द्र का मतलब है शीतलता। बाहर कितने भी परेशान करने वाले प्रसंग आयें लेकिन आपके दिल में कोई फरियाद न उठे। आप भीतर से ऐसे पुष्ट हों कि बाहर की छोटी मोटी मुसीबतें आपको परेशान न कर सकें।
शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढँककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध-चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए। देर रात होने के कारण कम खायें, भरपेट न खायें, सावधानी बरतें। रात को फ्रिज में रखें या ठंडे पानी में ढँक के रखें। सुबह गर्म करके उपयोग कर सकते हैं। ढाई तीन घंटे चन्द्रमा की किरणों से पुष्ट यह खीर पित्तशामक, शीतल, सात्त्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है। इससे चित्त को शांति मिलती है और साथ ही पित्तजनित समस्त रोगों का प्रकोप भी शांत होता है।
इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना। एक आध मिनट आँखें पटपटाना। कम से कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी। और फिर ऐसा आसन बिछाना जो विद्युत का कुचालक हो, चाहे छत पर चाहे मैदान में। चन्द्रमा की तरफ देखते-देखते अगर मौज पड़े तो आप लेट भी हो सकते हैं। श्वासोच्छवास के साथ भगवन्नाम और शांति को भरते जायें, निःसंकल्प नारायण में विश्रान्ति पायें। ऐसा करते-करते आप विश्रान्ति योग में चले जाना। विश्रांति योग... भगवदयोग.... अंतरंग जप करते हुए अपने चित्त को शांत, मधुमय, आनंदमय, सुखमय बनाते जाना। हृदय से जपना प्रीतिपूर्वक। आपको बहुत लाभ होगा। कितना लाभ होगा, यह माप सकें ऐसा कोई तराजू नहीं है। वह तराजू आज तक बनी नहीं। ब्रह्माजी भी बनायें तो वह तराजू टूट जायेगा।
जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। जिनको दमे की बीमारी हो वे नजदीक के किसी आश्रम या समिति से सम्पर्क के साथ लेना। दमा मिटाने वाली बूटी निःशुल्क मिलती है, उसे खीर में डाल देना। जिसको दमा है वह बूटी वाली खीर खाये और घूमे, सोये नहीं, इससे दमे में आराम होता है। दूसरा भी दमा मिटाने का प्रयोग है। अंग्रजी दवाओं से दमा नहीं मिटता लेकिन त्रिफला रसायन 10-10 ग्राम सुबह शाम खाने से एक महीने में दमे का दम निकल जाता है।
इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग, कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।
-Pujya asharam ji bapu
 

Saturday, 27 October 2012

883_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

क्रिया में बन्धन नहीं होता, क्रिया के भाव में बन्धन और मुक्ति निर्भर है। कर्म में बन्धन और मुक्ति नहीं, कर्त्ता के भाव में बन्धन और मुक्ति है। कर्त्ता किस भाव से कर्म कर रहा है ? राग से प्रेरित होकर कर रहा है ? द्वेष से प्रेरित होकर कर रहा है ? वासना से प्रेरित होकर कर रहा है ? .....कि परमात्मा-स्नेह से कर रहा है ?
-Pujya asharam ji bapu

Friday, 26 October 2012

882_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुलसी भरोसे राम के, निश्चिंत होई सोय।
अनहोनी होनी नहीं, होनी होय सो होय।।
चिंतित व्यक्ति को अच्छी तरह इसका मनन करना चाहिए।
-Pujya asharam ji bapu

881_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

पुण्य संचय व ईश्वर की कृपा का फलः ब्रह्मज्ञान का दिव्य सत्संग
"ईश्वर की कृपा होती है तो मनुष्य जन्म मिलता है। ईश्वर की अतिशय कृपा होती है तो मुमुक्षत्व का उदय होता है परन्तु जब अपने पूर्वजन्मों के पुण्य इकट्ठे होते हैं और ईश्वर की परम कृपा होती है तब ऐसा ब्रह्मज्ञान का दिव्य सत्संग सुनने को मिलता है, जैसा पूज्यपाद बापूजी के श्रीमुख से आपको यहाँ सुनने को मिल रहा है।"
 -Pujya asharam ji bapu

Thursday, 25 October 2012

880_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दुःख के सदुपयोग से जीवन की शक्ति का विकास होता है और सुख के सदुपयोग से जीवन में सजगता आती है, जीवनतत्त्व की जागृति होती है। दुःख से घबड़ाने से कमजोरी बढ़ती है और सुख में फँस जाने से विलासिता बढ़ती है। सुख बाँधकर कमजोर करता है और दुःख डराकर कमजोर करता है।
 -Pujya asharam ji bapu

Wednesday, 24 October 2012

879_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

परमात्मा परम आनंद और परम शान्ति के भंडार हैं | उनके साथ तुम्हारा सम्बन्ध जितना ही बढ़ता जाएगा उतने ही आनंद और शान्ति भी तुम्हारे अंदर बढ़ते जायेंगे | तुम जहाँ भी जाओगे, आनंद और शान्ति तुम्हारे साथ जायेंगे  | जगत के प्राणियों को भी उससे शान्ति की प्राप्ति होगी  |
-Pujya asharam ji bapu

878_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जैसे हरी लता पर बैठने वाला कीड़ा लता की भाँति हरे रंग का हो जाता है, उसी प्रकार विषय-विकार एवं कुसंग से मन मलिन हो जाता है। इसलिए विषय-विकारों और कुसंग से बचने के लिए संतों का संग अधिकाधिक करना चाहिए। कबीर जी ने कहाः
संगत कीजै साधु की, होवे दिन-दिन हेत।
साकुट काली कामली, धोते होय न सेत।।
कबीर संगत साध की, दिन-दिन दूना हेत।
साकत कारे कानेबरे, धोए होय न सेत।।
अर्थात् संत-महापुरूषों की ही संगति करनी चाहिए क्योंकि वे अंत में निहाल कर देते हैं। दुष्टों की संगति नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनके संपर्क में जाते ही मनुष्य का पतन हो जाता है।
संतों की संगति से सदैव हित होता है, जबकि दुष्ट लोगों की संगति गुणवान मनुष्यों का भी पतन हो जाता है।

-Pujya asharam ji bapu

877_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जैसे बचपन की बुद्धि आपको अब छोटी लगती है ऐसे ही जब भगवान बुद्धियोग देंगे तब आज की बुद्धि भी आपको बचकानी लगेगी। दो पाँच लाख मिल गये, राजी हो गये। दो-पाँच लाख चले गये, दुःखी हो गये। जब बुद्धियोग मिलेगा तब पता चलेगा कि यह भी एक बाल्यावस्था है।
न खुशी अच्छी है न मलाल अच्छा है।
यार जिसमें रख दे वह हाल अच्छा है।।
हमारी न आरजू है न जुस्तजू है।
हम राजी हैं उसमें जिसमें तेरी रजा है।।
ऐसी समता की ऊँचाई पर आदमी पहुँच जाता है।
 -Pujya asharam ji bapu

Tuesday, 23 October 2012

876_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यह भी बीत जायेगी

सुख में फूलो मत । दुःख में निराश न बनो । सुख और दुःख दोनों ही बीत जायेंगे । कैसी भी परिस्थिति आये उस समय मन को याद दिलायें कि यह भी बीत जायेगी । 
 -Pujya asharam ji bapu

875_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अलख पुरुष की आरसी साधु का ही देह।
लखा जो चाहे अलख को इन्हीं में तू लख ले।।
'परमात्मा के साथ एकरूप हो गये ब्रह्म-साक्षात्कारी महापुरुष की देह एक दर्पण के समान है, जिसमें आप अलख पुरुष (परमात्मा) के दर्शन कर सकते हो।'

874_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

प्रसन्नता और समता

प्रसन्नता बनाये रखने और उसे बढ़ाने का एक सरल उपाय यह है कि सुबह अपने कमरे में बैठकर जोर-से हँसो आज तक जो सुख-दु: आया वह बीत गया और जो आयेगा वह बीत जायेगा जो होगा, देखा जायेगा आज तो मौज में रहो भले झूठमूठ में ही हँसो ऐसा करते करते सच्ची हँसी भी जायेगी उससे शरीर में रक्त-संचरण ठीक से होगा शरीर तंदुरुस्त रहेगा बीमारियाँ नहीं सतायेंगी और दिन भर खुश रहोगे तो समस्याएँ भी भाग जायेंगी या तो आसानी से हल हो जायेंगी-Pujya asharam ji bapu

Monday, 22 October 2012

873_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

निर्भयता ऐसा तत्त्व है कि उससे परमात्म-तत्त्व में पहुँचने की शक्ति आती है।  निर्भीक दूसरों का शोषण नहीं करता, पोषण करता है। अतः जीवन में निर्भयता लानी चाहिए।
-Pujya asharam ji bapu

872_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ईश्वर का स्मरण करते-करते काम करो। इसकी अपेक्षा काम ईश्वर का समझकर तत्परता से करो यह श्रेष्ठ है। जो आदमी कार्य करने में मजा नहीं ले सकता वह कार्य के फल का भी मजा नहीं ले सकता।
 -Pujya asharam ji bapu

Sunday, 21 October 2012

Saturday, 20 October 2012

870_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जितनी देर हो सके उतनी देर शान्त बैठे रहो। तुम्हारे श्वास की गति मन्द होती चली जायेगी, सत्त्वगुण बढ़ता जायगा। संकल्प फलित होने लगेंगे।
-Pujya asharam ji bapu

869_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'हम राम के थे, राम के हैं और राम के ही रहेंगे। ॐ राम..... ॐ राम.... ॐ राम....।'
कोई भी चिन्ता किये बिना जो प्रभु में मस्त रहता है वह सहनशील है, वह साधुबुद्धि है।

-Pujya asharam ji bapu

Friday, 19 October 2012

868_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

.मनुष्य जैसा सोचता है वैसा हो जाता है। मन कल्पतरू है। अतः सुषुप्त दिव्यता को, दिव्य साधना से जगाओ। अपने में दिव्य विचार भरो।
 -Pujya asharam ji bapu

867_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मनुष्य की वास्तविक अंतरात्मा इतनी महान् है कि जिसका वर्णन करते वेद भगवान भी 'नेति.... नेति.....' पुकार देते हैं। मानव का वास्तविक तत्त्व, वास्तविक स्वरूप ऐसा महान् है लेकिन भय ने, स्वार्थ ने, रजो-तमोगुण के प्रभाव ने उसे दीन-हीन बना दिया है।
-Pujya asharam ji bapu

Thursday, 18 October 2012

866_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

निर्भयता, अहिंसा, सत्य, अक्रोध, आचार्य-उपासना, सहिष्णुता आदि सभी दैवी गुणों के विकास के लिए ब्रह्मचर्य, प्राकृतिक-वातावरण, सात्त्विक भोजन मददरूप होते हैं और इनसे जीवनशक्ति का विकास भी होता है।
-Pujya asharam ji bapu

Monday, 15 October 2012

836_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जीवन को यदि तेजस्वी बनाना हो, सफल बनाना हो, उन्नत बनाना हो तो मनुष्य को त्रिकाल संध्या ज़रूर करनी चाहिए।
-Pujya asharam ji bapu

Sunday, 14 October 2012

835_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

इस माया की दो शक्तियाँ हैः आवरण शक्ति और विक्षेप शक्ति। आवरण बुद्धि पर पड़ता है और विक्षेप मन पर पड़ता है। सत्कार्य करके, जप तप करके, निष्काम कर्म करके विक्षेप हटाया जाता है। विचार करके आवरण हटाया जाता है।
 -Pujya asharam ji bapu

834_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दुनियाँ के सब लोग मिलकर तुम्हारे शरीर की सेवा में लग जाएँ फिर भी तुम्हारे स्व में कुछ बढ़ौती नहीं होगी। तुम्हारा विरोध में सारा विश्व उल्टा होकर टँग जाय फिर भी तुम्हारे स्व में कोई कटौती नहीं होगी, कोई घाटा नहीं होगा। ऐसा विलक्ष्ण तुम्हारा स्व है।
-Pujya asharam ji bapu

833_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

साधक का लक्ष्य परमात्मा है और संसारी का लक्ष्य तुच्छ भोग है। संसारी की धारा चिन्ता के तरफ जा रही है और साधक की धारा चिन्तन के तरफ जा रही है।
 -Pujya asharam ji bapu

832_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



चित्त में क्षोभ हो जाना, चित्त का उत्तेजित हो जाना सबसे बड़ी हानि है। इससे बचने का सबसे सरल उपाय है कि उत्तेजना पैदा करनेवाले शब्दों को चिड़ियों की चहचहाट के समान समझो ।
-Pujya asharam ji bapu

831_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सबका मंगल, सबका भला हो

अगर आपके मन में किसी के लिए बुरे विचार आते हैं, तो सामनेवाले का अहित हो या हो परंतु आपका अंत:करण जरुर मलिन हो जायेगा फलस्वरूप मन में अशांति उत्पन्न होगी जो सब दु:खों का कारण है

यदि आपके मन में किसीके प्रति ईर्ष्या होती है, तो उसके पास जाकर कह दें कि मुझे माफ करें, आपको देखकर मुझे ईर्ष्या होती है आप भी प्रार्थना करें और मैं भी प्रार्थना करुँ ताकि आपके प्रति मेरी ईर्ष्या मिट जाय |”

कोई आपका कितना भी बुरा करना चाहे पर आप अगर सावधान होकर उसके लिए अच्छा ही सोचो और उसकी भलाई का ही चिन्तन करो तो कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा बुरा सोचनेवाले के विचार भी बदल जायेंगे। उसका दुष्प्रयोजन सफल नहीं हो पायेगा
-Pujya asharam ji bapu

Saturday, 13 October 2012

830_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

व्यवहार जगत के तूफान तो क्या, मौत का तूफान आये उससे भी टक्कर लेने का सामर्थ्य आ जाय इसका नाम है साक्षात्कार। इसका नाम है मनुष्य जीवन की सफलता।
 -Pujya asharam ji bapu

829_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सब काम करने से नहीं होते। कुछ काम ऐसे भी हैं जो करने से होते हैं, ध्यान ऐसा ही एक कार्य है। ध्यान का मतलब क्या ? ध्यान है डूबना ध्यान है आत्मनिरीक्षण करना… ‘हम कैसे हैं, यह देखना सत्संग भी उसीको फलता है जो ध्यान करता है
 -Pujya asharam ji bapu
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...