Sunday, 30 June 2013

1140_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम जब सत्य के रास्ते पर चल पड़े हो तो व्यावहारिक कार्यों की चिन्ता मत करो कि वे पूरे होते हैं कि नहीं। समझो, कुछ कार्य पूरे न भी हुए तो एक दिन तो सब छोड़कर ही जाना है। यह अधूरा तो अधूरा है ही, लेकिन जिसे संसारी लोग पूरा समझते हैं, वह भी अधूरा ही है। पूर्ण तो एक परमात्मा है। उसे जाने बिना सब जान लिया तो भी व्यर्थ है।

 -Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday, 29 June 2013

1139_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

पवित्रता और सच्चाई, विश्वास और भलाई से भरा हुआ मनुष्य उन्नति का झण्डा हाथ में लेकर जब आगे बढ़ता है तब किसकी मजाल कि बीच में खड़ा रहे ? यदि आपके दिल में पवित्रता, सच्चाई और विश्वास है तो आपकी दृष्टि लोहे के पर्दे को भी चीर सकेगी | आपके विचारों की ठोकर से पहाड़-के-पहाड़ भी चकनाचूर हो सकेंगे

-Pujya Asharam Ji Bapu

Friday, 28 June 2013

1138_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यत्तदग्रे विषमिव परिणामेऽमृतोपमम्।
तत्सुखं सात्त्विकं प्रोक्तमात्मबुद्धि प्रसादजम।।


जो आरम्भकाल में विष के तुल्य प्रतीत होता है परन्तु परिणाम में अमृत के तुल्य है वह परमात्म विषयक बुद्धि के प्रसाद से उत्पन्न होने वाला सुख सात्त्विक कहा गया है।
(भगवद् गीता)

Wednesday, 26 June 2013

1136_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब पुरूष अपने आत्मा के अकर्त्तापने को और अभोक्तापन को मानता है तब उसकी सम्पूर्ण चित्तवृत्तियाँ  निश्चय करके नाश होती हैं।
-अष्टावक्र मुनि

Monday, 24 June 2013

1135_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आप कम बोलें, सारगर्भित बोलें, सुमधुर और हित से भरा बोलें। मानवी शक्तियों को हरने वाली निंदा, ईर्ष्या, चुगली, झूठ, कपट – इन गंदी आदतों से बचें और मौन व सारगर्भिता का सेवन करें।

-Pujya Asharam Ji Bapu

1134_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU



अपने हृदय-मंदिर में बैठे हुए अन्तरात्मारूपी परमात्मा को प्यार करते जाओ। इसी समय परमात्मा तुम्हारे प्रेमप्रसाद को ग्रहण करते जायेंगे और तुम्हारा रोम-रोम पवित्र होता जायगा। कल की चिन्ता छोड़ दो।

 -Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday, 19 June 2013

1133_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 साधक'पर' की सेवा करते-करते 'पर' में 'स्व' को देखता है, 'स्व' में 'पर' को देखता है. 'स्व' और 'पर' की भ्रांति मिटाकर एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति के अनुभव में जग जाता है।

-Pujya Asharam Ji Bapu


1132_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यथायोग्य व्यवहार करो लेकिन चित्त से सदा आत्मपद में स्थिति करो। चित्त में एक बार आत्म-शान्ति का स्वाद आ जाये तो फिर संसार में कोई सुख तुम्हें प्रभावित नहीं करेगा।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Tuesday, 18 June 2013

1131_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो लोग रूचि के अनुसार सेवा करना चाहते हैं, उनके जीवन मे बरकत नहीं आती। किन्तु जो आवश्यकता के अनुसार सेवा करते हैं, उनकी सेवा रूचि मिटाकर योग बन जाती है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Monday, 17 June 2013

1130_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सबका मंगल सबका भला हो


"गुरु बिन भवनिधि तरहिं ना कोई
जो बिरंचि शंकर सम होई"

सबका मंगल सबका भला हो, गुरु चाहना ऐसी है
इसीलिए तो आये धरा पर, सदगुरु आसारामजी हैं

भारत का नया रूप बनाने, विश्व गुरु के पद पे बिठाने
योग सिद्धि के खोले खजाने, ज्ञान के झरने फिर से बहाने
सबका मंगल सबका भला हो...................

युवा धन को ऊपर उठाने, यौवन संयम पाठ सिखाने
जन-जन भक्ति शक्ति जगाने, निकल पड़े गुरु राम निराले
सबका मंगल सबका भला हो...................

इक-इक बच्ची शबरी सी हो, मीरा जैसी योगिनी हो
सती अनुसूया सती सीता हो, मुख पर तेज माँ शक्ति का हो
सबका मंगल सबका भला हो...................

नर-नर में नारायण दर्शन, सेवा कर फल प्रभु को अर्पण
दीन-दुखी को गले लगायें, सब का भला हो मन से गायें
सबका मंगल सबका भला हो...................

1129_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 ब्रह्माकार वृत्ति में स्थित हुए महात्माओं के दर्शन की महिमा का वर्णन करते हुए संत कबीर ने कहा हैः
अलख पुरुष की आरसी साधु का ही देह।
लखा जो चाहे अलख को इन्हीं में तू लख ले।।
'परमात्मा के साथ एकरूप हो गये ब्रह्म-साक्षात्कारी महापुरुष की देह एक दर्पण के समान है, जिसमें आप अलख पुरुष (परमात्मा) के दर्शन कर सकते हो।'
गुरु नानक जी ने भी संतो की महिमा का वर्णन करते हुए कहा हैः
संत की महिमा वेद न जाने।
जेता जाने तेता बखाने।।
संसार का सच्चा कल्याण संतों के द्वारा ही हो सकता है। ऐसे महापुरुषों का पूरा जीवन ही 'बहुजनहिता बहुजनसुखाय' होता है।

 -Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday, 16 June 2013

1128_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्मशक्ति क्षीण करने वाली दो मुख्य चीजें हैं- सुख की लालसा और दुःख का भय।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

1127_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

देश, काल और वस्तु के परिच्छेद से रहित जो अखण्ड है, एकरस है, अभी है, यहाँ है, सदा है, सर्वत्र है वही हमारा आत्मा होकर बैठा है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday, 15 June 2013

1126_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिस तरह की लगन स्त्री-सुख में होती है, जिस तरह की लगन प्रेमी अपनी प्रेमिका में रखता है ठीक ऐसी ही लगन, ऐसी ही प्रीति अगर प्रभु चरणों में हो जाये तो आदमी प्रतीति से निकलकर प्राप्ति रूप परमात्मा में स्थिर हो सकता है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Friday, 14 June 2013

1125_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

कर्म में अगर यज्ञबुद्धि आ जाय, कर्म में अगर उदारता आ जाय, स्नेह आ जाय तो वह कर्म कर्त्ता को अपने स्वरूप का भान करा देता है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

1124_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब तक नहीं जाना था तब तक ईश्वर था और जब जाना तो मेरे...आत्मा का ही वह नाम था।
ब्राह्मी स्थिति प्राप्त कर कार्य रहे ना शेष।
मोह कभी ना ठग सके इच्छा नहीं लवलेश।।
नश्वर दुनियाँ की क्या इच्छा करना ? अपने राम में मस्त। ॐ.....ॐ.....ॐ.....
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