Monday, 31 December 2012
Sunday, 30 December 2012
Saturday, 29 December 2012
Friday, 28 December 2012
Thursday, 27 December 2012
Wednesday, 26 December 2012
Tuesday, 25 December 2012
Monday, 24 December 2012
Sunday, 23 December 2012
Saturday, 22 December 2012
Friday, 21 December 2012
Thursday, 20 December 2012
Wednesday, 19 December 2012
Tuesday, 18 December 2012
974_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
ज्ञानी बोलते हुए भी नहीं बोलते, लेते हुए भी नहीं लेते, देते हुए भी नहीं देते।
यह
ज्ञानवानों
का नित्य मौन
है। इसको ‘वेदान्ती
मौन’
कह सकते हैं।
आत्मस्वरूप
में,
ब्रह्मस्वरूप
में जागे हुए
बोधवान्
ज्ञानी पुरुष
खाते-पीते,
उठते-बैठते,
चलते-फिरते सब
कुछ करते हुए
भी भली प्रकार
समझते
हैं किः 'बोला
जाता है वाणी
से, लिया-दिया
जाता है हाथ से,
चला जाता है
पैर से,
संकल्प-विकल्प होते
हैं मन से,
निर्णय होते
हैं बुद्धि
से। मैं इन
सबको
देखनेवाला,
अचल, कूटस्थ,
साक्षी हूँ।
मैंने कभी कुछ
किया ही नहीं।'
-Pujya Asharam Ji Bapu
Monday, 17 December 2012
Sunday, 16 December 2012
Saturday, 15 December 2012
Friday, 14 December 2012
Thursday, 13 December 2012
Wednesday, 12 December 2012
Tuesday, 11 December 2012
Monday, 10 December 2012
Sunday, 9 December 2012
Saturday, 8 December 2012
956_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
'हमारा
क्या.....?
जो करेगा सो
भरेगा...'
ऐसी कायरता
प्रायः
भगतड़ों में आ
जाती है। ऐसे
लोग भक्त नहीं
कहे जाते,
भगतड़े कहे
जाते हैं।
भक्त तो वह है
जो संसार में
रहते हुए,
माया में रहते
हुए माया से
पार रहे।
भगत
जगत को ठगत है
भगत को ठगे न
कोई।
एक
बार जो भगत
ठगे अखण्ड
यज्ञ फल होई।।
भक्त उसका
नाम नहीं जो
भागता रहे।
भक्त उसका नाम
नहीं जो कायर
हो जाय। भक्त
उसका नाम नहीं
जो मार खाता
रहे।
-Pujya Asharam Ji Bapu
Friday, 7 December 2012
954_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
-Pujya Asharam Ji Bapu
Thursday, 6 December 2012
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