Friday, 13 November 2015

1363_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU




विवेक के घटक

अपने गुरू के प्रति अदा की हुई सेवा नैतिक फर्ज है, आध्यात्मिक ‘टॉनिक’ है। उससे मन एवं हृदय दैवी गुणों से भरपूर बनते हैं, पुष्ट बनते हैं।गुरू के प्रति अपने छोटे छोटे कर्त्तव्य निभाने में भी सतर्क रहो। आपको बहुत आनन्द एवं शान्ति की प्राप्ति होगी।

 - Sri Swami Sivananda
Guru  Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram

Tuesday, 10 November 2015

1362_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU




साक्षात्कार के सूत्र 

आप उपासना, प्रार्थना आदि के द्वारा देवताओं को प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। किन्तु प्रत्यक्ष आध्यात्मिक साक्षात्कार के लिए आपको तीन चीजें चाहिएः गुरूसेवा, गुरूभक्ति और गुरूकृपा।

 - Sri Swami Sivananda
Guru  Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram


Friday, 6 November 2015

2 Shubh Diwali 2015


1361_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU





आध्यात्मिक नीति-रीति

गुरू करना और बाद में उनको धोखा देकर उनका त्याग कर देना इसकी अपेक्षा गुरू नहीं करना और भवाटवी में भटकना बेहतर है। गुरू से धोखा करना यह अपनी ही कब्र खोदने का साधन है।  
गुरूश्रद्धा का सक्रिय स्वरूप माने गुरू के चरण कमलों में सम्पूर्ण आत्मसमर्पण करना।

- Sri Swami Sivananda
Guru  Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram

Thursday, 5 November 2015

1 Shubh Diwali 2015


1360_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU





साधना का रहस्य

जिनके सान्निध्य में आपको आध्यात्मिक उन्नति महसूस हो, जिनके वक्तव्य से आपको प्रेरणा मिले, जो आपके संशयों को दूर कर सकें, जो काम, क्रोध, लोभ से मुक्त हों, जो निःस्वार्थ हों, प्रेम बरसाने वाले हों, जो अहंपद से मुक्त हो, जिनके व्यवहार में गीता, भागवत, उपनिषदों का ज्ञान छलकता हो, जिन्होंने प्रभुनाम की प्याऊ लगाई हो उन्हें आप गुरू करना।


- Sri Swami Sivananda
Guru  Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram

Tuesday, 3 November 2015

1359_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU




भक्ति के स्वरूप

जीवन का ध्येय है- परिणाम में दुःख देनेवाली कुसंगति का त्याग करना और अमरत्व देने वाले पवित्र आचार्य के चरणकमलों की सेवा करना।  गुरूभक्तियोग सब योगों का राजा है।


Aspects of Devotion

 The aim of life is to avoid bad company which gives misery at the end and to serve the Lotus-Feet of holy Acharya who bestows immortality.Guru-Bhakti Yoga is the king among all other Yogas.  


- Sri Swami Sivananda
Guru  Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram

Monday, 2 November 2015

1358_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

साधना का रहस्य

पूरे अन्तःकरण से हृदयपूर्वक गुरू की सेवा करो। किसी भी प्रकार की अपेक्षा से रहित होकर अपने गुरू के प्रति प्रेम रखो। अपनी आय का दसवाँ हिस्सा आपके गुरू को समर्पित करो। गुरू के चरणकमलों का ध्यान करो। इसी जन्म में आपको आत्म-साक्षात्कार होगा। यह साधना का रहस्य है।

The Secret Of Sadhana

Serve the Guru with whole heart and soul. Love your Guru without any expectations. Give one tenth of your income to your preceptor. Meditate on the Lotus-Feet of Guru. You will realise in this very birth. This is the secret of Sadhana. 


- Sri Swami Sivananda
Guru  Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram

Sunday, 1 November 2015

1357_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU





शाश्वत सुख का मार्ग

जो व्यक्ति दुःख को पार करके जीवन में सुख एवं आनन्द प्राप्त करना चाहता है उसे अन्तःकरणपूर्वक गुरूभक्तियोग का अभ्यास करना जरूरी है।गुरूभक्तियोग अमरत्व, शाश्वत सुख, मुक्ति, पूर्णता, अखूट आनन्द और चिरंतन शान्ति देनेवाला है।



Pathway to Immortal Bliss

Everyone who longs to transcend misery and obtain joy and happiness in life should sincerely practise Guru-Bhakti Yoga.Guru-Bhakti Yoga confers immortality, eternal bliss, freedom, perfection, perennial joy and everlasting peace. 


- Sri Swami Sivananda
Guru  Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram

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