>>>सर्वोच्च शिखर<<<
दुनियाँ मेरा शरीर है सम्पूर्ण विश्व मेरा शरीर है। जो ऐसा कह सकता है वही आवागमन के बन्धन से मुक्त है। वह तो अनन्त है। कहाँ जायेगा और कहाँ से आयेगा ? सारा विश्वब्रह्मांड उसमें हैं।वेदान्त रसायनविद्या है के समान प्रयोगत्मक विज्ञान है।वेदान्त निराशावाद नहीं है। वह तो आशावाद का सर्वोच्च शिखर है।किसी भी प्रसंग को मन में लाकर हर्ष, शोक के वशीभूत मत हो जाना। मैं अजर हूँ, अमर हूँ। मेरा जन्म नहीं, मेरी मृत्यु नहीं। मैं निर्लिप्त आत्मा हूँ। यही भावना दृढ़ रीति से हृदय में धारण करके जीवन व्यतीत करना, इसी भाव की निरन्तर सेवा करना और उसी में तल्लीन रहना।मुक्ति अथवा आत्मज्ञान यह तेरे ही हाथ में है। अमुक क्या कहता है क्या नहीं, इस पर यदि ध्यान दिया करें तो कुछ काम नहीं कर सकते।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
दुनियाँ मेरा शरीर है सम्पूर्ण विश्व मेरा शरीर है। जो ऐसा कह सकता है वही आवागमन के बन्धन से मुक्त है। वह तो अनन्त है। कहाँ जायेगा और कहाँ से आयेगा ? सारा विश्वब्रह्मांड उसमें हैं।वेदान्त रसायनविद्या है के समान प्रयोगत्मक विज्ञान है।वेदान्त निराशावाद नहीं है। वह तो आशावाद का सर्वोच्च शिखर है।किसी भी प्रसंग को मन में लाकर हर्ष, शोक के वशीभूत मत हो जाना। मैं अजर हूँ, अमर हूँ। मेरा जन्म नहीं, मेरी मृत्यु नहीं। मैं निर्लिप्त आत्मा हूँ। यही भावना दृढ़ रीति से हृदय में धारण करके जीवन व्यतीत करना, इसी भाव की निरन्तर सेवा करना और उसी में तल्लीन रहना।मुक्ति अथवा आत्मज्ञान यह तेरे ही हाथ में है। अमुक क्या कहता है क्या नहीं, इस पर यदि ध्यान दिया करें तो कुछ काम नहीं कर सकते।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
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