Monday, 31 December 2012

1000_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुषुप्त शक्तियों को विकसित करने का अमोघ साधन है मौन। योग्यता विकसित करने के लिए मौन जैसा सुगम साधन मैंने दूसरा कोई नहीं देखा।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

999_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संसार व संसार की समस्याओं में जो सबसे अधिक फँसे हुए हैं उन्हीं को वेदान्त की सबसे अधिक आवश्यकता है | बीमार को ही औषधि की ज्यादा आवश्यकता है |
-Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday, 30 December 2012

998_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुख अपने सिर पर दुख का मुकुट पहन कर आता है | जो सुख को अपनायेगा उसे दुख को भी स्वीकार करना पड़ेगा |
-Pujya Asharam Ji Bapu

997_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

नश्वर की आसक्ति मिटते ही शाश्वत की प्रीति जगती है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday, 29 December 2012

996_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दुःख के सदुपयोग से जीवन की शक्ति का विकास होता है और सुख के सदुपयोग से जीवन में सजगता आती है, जीवनतत्त्व की जागृति होती है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

995_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सांसारिक सुख में भोक्ता हर्षित होता है और साथ ही साथ बरबाद होता है। आत्मसुख में भोक्ता शांत होता है और आबाद होता है।

-Pujya Asharam Ji Bapu

Friday, 28 December 2012

994_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


भोग प्रारम्भ में तो सुखद लगते हैं लेकिन बाद में उनका परिणाम दुःखद आता है। योग शुरू में जरा परिश्रमवाला लगता है लेकिन बाद में अमृत जैसा अमरफल दे देता है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday, 27 December 2012

993_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वासना-तृप्ति के लिए जो कर्म किया जाता है वह कर्त्ता को बाँधता है। वासना-निवृत्ति के लिए जो यज्ञार्थ कर्म किये जाते हैं वे कर्त्ता को मुक्त स्वभाव में जगा देते हैं।
-Pujya Asharam Ji Bapu

992_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हिम्मत करो। कार्य कठिन नहीं है। तुच्छ आकर्षण छोड़कर शाश्वत की ओर चलने का दृढ़ संकल्प तुम्हें तो निहाल करेगा, तुम्हारे संग में आनेवालों का भी बेड़ा पार करेगा।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday, 26 December 2012

991_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जागो.... उठो.... अपने भीतर सोये हुए निश्चयबल को जगाओ। सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Tuesday, 25 December 2012

990_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

प्रभु का यह कायदा है कि जिस भक्त को अपने में कुछ भी विशेषता नहीं दिखती, अपने में किसी बात का अभिमान नहीं होता, उस भक्त में भगवान की विलक्षणता उतर आती है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

989_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मेरा रोम-रोम संतों की, गुरू की कृपा और करूणा से पवित्र हो रहा है। आनन्दोऽहम्..... शान्तोऽहम्..... शुद्धोऽहम्..... निर्विकल्पोऽहम्.... निराकारोऽहम्।

988_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

क्रोधी यदि आपको शाप दे और आप समत्व में स्थिर रहो, कुछ न बोलो तो उसका शाप आशीर्वाद में बदल जायेगा |
-Pujya Asharam Ji Bapu

Monday, 24 December 2012

987_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संतों की संगति से सदैव हित होता है, जबकि दुष्ट लोगों की  संगति से गुणवान मनुष्यों का भी पतन हो जाता है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

986_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सुख का दृश्य भी आयेगा और जायेगा तो दुःख का दृश्य भी आयेगा और जायेगा। पर्दे को क्या? तुम दृष्टा बनकर देखते रहो, अपनी महिमा में मस्त रहो।
Pujya Asharam Ji Bapu

985_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दुःख का सदुपयोग करने से दुःख छोटा हो जायेगा फिर वह आपको उतना दुःख नहीं देगा। सुख का सदुपयोग करने से सुख छोटा हो जायेगा फिर वह आपको बाँध नहीं सकेगा।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday, 23 December 2012

984_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'चिन्तामणि' के आगे जो चिन्तन करो वह चीज मिलती है लेकिन सत्पुरुष के आगे जो चीज माँगोगे वही चीज वे नहीं देंगे, मगर जिसमें तुम्हारा हित होगा वही देंगे।
-Pujya Asharam Ji Bapu

983_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अगर आप अपने शरीर को 'मैं' मानेंगे और संसार को सच्चा मानेंगे तो आपके पास कुछ भी हो उससे आप सुखी नहीं रहेंगे।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday, 22 December 2012

982_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिसके जीवन में दिव्य विचार नहीं है, दिव्य चिन्तन नहीं है वह चिन्ता की खाई में गिरता है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

981_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हाथ-से-हाथ मसलकर, दाँत-से-दाँत भींचकर, कमर कसकर, छाती में प्राण भरकर जोर लगाओ और मन की दासता को कुचल डालो, बेड़ियाँ तोड़ फेंको । सदैव के लिए इसके शिकंजे में से निकलकर इसके स्वामी बन जाओ । 
-Pujya Asharam Ji Bapu

Friday, 21 December 2012

980_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो आरम्भकाल में विष के तुल्य प्रतीत होता है परन्तु परिणाम में अमृत के तुल्य है वह परमात्म विषयक बुद्धि के प्रसाद से उत्पन्न होने वाला सुख सात्त्विक कहा गया है।
(भगवद् गीता)

979_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जब तक देहाभिमान की नालियों में पड़े रहोगे तब तक चिन्ताओं के बन्डल तुम्हारे सिर पर लदे रहेंगे।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday, 20 December 2012

978_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जो कुछ तू देखता है वह सब तू ही है। कोई शक्ति इसमें बाधा नहीं डाल सकती। राजा, देव, दानव, कोई भी तुम्हारे विरुद्ध खड़े नहीं हो सकते।

तुम्हारी शंकाएँ और भय ही तुम्हारे जीवन को नष्ट करते हैं। जितना भय और शंका को हृदय में स्थान दोगे, उतने ही उन्नति से दूर पड़े रहोगे।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

977_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वेदान्त की बात आपके अनुभव में आने से सारे दुःख ओस की बूँद की तरह लुप्त हो जायेंगे। मैं नितान्त सत्य कह रहा हूँ।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday, 19 December 2012

976_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

दूसरों की भलाई में तुम जितना ही अपने अहंकार को और स्वार्थ को भूलोगे उतना ही तुम्हारा वास्तविक हित अधिक होगा |
-Pujya Asharam Ji Bapu

Tuesday, 18 December 2012

975_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सच्चे सदगुरु की की हुई भक्ति शिष्य में सांसारिक पदार्थों से वैराग्य एवं अनासक्ति जगाती है, परमात्मा के प्रति प्रेम के पुष्प महकाती है |
(स्वामी शिवानंद जी)

974_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ज्ञानी बोलते हुए भी नहीं बोलते, लेते हुए भी नहीं लेते, देते हुए भी नहीं देते।
यह ज्ञानवानों का नित्य मौन है। इसको वेदान्ती मौन कह सकते हैं। आत्मस्वरूप में, ब्रह्मस्वरूप में जागे हुए बोधवान् ज्ञानी पुरुष खाते-पीते, उठते-बैठते, चलते-फिरते सब कुछ करते हुए भी भली प्रकार समझते  हैं किः 'बोला जाता है वाणी से, लिया-दिया जाता है हाथ से, चला जाता है पैर से, संकल्प-विकल्प होते हैं मन से, निर्णय होते हैं बुद्धि से। मैं इन सबको देखनेवाला, अचल, कूटस्थ, साक्षी हूँ। मैंने कभी कुछ किया ही नहीं।'
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Monday, 17 December 2012

973_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मनुष्य की वास्तविक अंतरात्मा इतनी महान है कि जिसका वर्णन करते वेद भगवान भी 'नेति.... नेति.....' पुकार देते हैं।

-Pujya Asharam Ji Bapu

972_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

भूतकाल जो गुजर गया उसके लिये उदास मत हो। भविष्य की चिन्ता मत करो। जो बीत गया उसे भुला दो। जो आता है उसे हँसते हुए गुजारो। जो आयेगा उसके लिए विमोहित न हो। आज के दिन मजे में रहो। आज का दिन ईश्वर के लिए। आज खुश रहो।
-Pujya Asharam Ji Bapu

971_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपने स्वरूप में लीन होने मात्र से आप संसार
 के सम्राट बन जायेंगे । यह सम्राटपद केवल
इस संसार का ही नहीं, समस्त
लोक-परलोक का सम्राटपद होगा ।

-Pujya Asharam Ji Bapu

Sunday, 16 December 2012

970_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

ऐसा कोई सामर्थ्य नही जिसका उद्गम स्थान आत्म विश्रांति न हो..
-Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday, 15 December 2012

969_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

अपि चेत्सुदुराचारो भजते मामनन्यभाक् ।
साधुरेव स मन्तव्यः सम्यग्व्यवसितो हि सः ।।
(भगवदगीताः 9.30)

968_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

सम्राट के साथ राज्य करना भी बुरा है न जाने कब रुला दे।
संत के साथ भीख माँगकर रहना भी अच्छा है न जाने कब मिला दे।।

Friday, 14 December 2012

967_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आप अपनी शक्ति को उच्चातिउच्च विषयों की ओर बहने दो | इससे आपके पास वे बातें सोचने का समय ही नहीं मिलेगा जिससे कामुकता की गंध आती हो
-Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday, 13 December 2012

966_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए तथा आत्मानंद में मस्त रहने के लिए सत्त्वगुण का प्राबल्य चाहिये । स्वभाव को सत्त्वगुणी बनाइये
-Pujya Asharam Ji Bapu

965_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

संतों का कहना है, महापुरूषों का यह अनुभव है कि निर्विकारी समाधि में आनंद का प्राकट्य हो सकता है परंतु आनंदस्वरूप प्रभु का पोषण तो प्रेमाभक्ति के सिवाय कहीं नहीं हो सकता।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Wednesday, 12 December 2012

964_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 जहाँ प्रेम है, विश्रांति है वहाँ शांति का प्राकट्य होता है। जहाँ समाधि है वहाँ आनंद का प्राकट्य होता है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

963_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

न मां दुष्कृतिनो मूढ़ाः प्रपद्यन्ते नराधमाः
माययापहृतज्ञाना आसुरं भावमिश्रिताः।।
'माया के द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है ऐसे असुर स्वभाव को धारण किये हुए मनुष्यों में नीच दूषित कर्म करने वाले मूढ लोग मुझको नहीं भजते।'
(भगवदगीताः 7.15)

Tuesday, 11 December 2012

962_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

जिसको सत्संग में रूचि नहीं है उसको कुसंग में रूचि है। जो सत्संग नहीं करेगा वह कुकर्म जरूर करेगा। जो सदविचार नहीं करेगा वह कुविचार जरूर करेगा। जो राम को प्यार नहीं करेगा वह काम का जरूर गुलाम होगा।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

961_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम्हारी शंकाएँ और भय ही तुम्हारे जीवन को नष्ट करते हैं। जितना भय और शंका को हृदय में स्थान दोगे, उतने ही उन्नति से दूर पड़े रहोगे।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Monday, 10 December 2012

960_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

तुम बाहर के किसी भी व्यक्ति से या परिस्थिति से प्रभावित हो रहे हो  तो समझ लो कि तुम मालिक होते हुए भी गुलाम बने हुए हो।
-Pujya Asharam Ji Bapu

959_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

रविदास रात न सोइये दिवस न लीजिए स्वाद।
निशदिन हरि को सुमरीए छोड़ सकल प्रतिवाद।।

Sunday, 9 December 2012

958_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU


पुरुषार्थ क्या है? उससे क्या पाना है?

ज्ञानवान जो संत हैं और सत्शास्त्र में  जो ब्रह्मविद्या है उसके अनुसार प्रयत्न करने का नाम पुरुषार्थ है और पुरुषार्थ से पाने योग्य आत्मज्ञान है जिससे जीव संसार समुद्र से पार होता है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

957_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

व्यर्थ के भोगों से बचने के लिए परोपकार करो और व्यर्थ चिन्तन से दूर रहने के लिए ब्रह्मचिन्तन करो। व्यर्थ के भोगों और व्यर्थ चिन्तन से बचे तो ब्रह्मचिन्तन करना नहीं पड़ेगा, वह स्वतः ही होने लगेगा।
 -Pujya Asharam Ji Bapu

Saturday, 8 December 2012

956_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

'हमारा क्या.....? जो करेगा सो भरेगा...' ऐसी कायरता प्रायः भगतड़ों में आ जाती है। ऐसे लोग भक्त नहीं कहे जाते, भगतड़े कहे जाते हैं। भक्त तो वह है जो संसार में रहते हुए, माया में रहते हुए माया से पार रहे।
भगत जगत को ठगत है भगत को ठगे न कोई।
एक बार जो भगत ठगे अखण्ड यज्ञ फल होई।।
भक्त उसका नाम नहीं जो भागता रहे। भक्त उसका नाम नहीं जो कायर हो जाय। भक्त उसका नाम नहीं जो मार खाता रहे।

-Pujya Asharam Ji Bapu

955_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

हम जो चाहते हैं वह सब अपना होता नहीं। जो अपना होता है वह सब भाता नहीं। जो भाता है वह सदा के लिए टिकता नहीं।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Friday, 7 December 2012

954_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

आध्यात्मिक मार्ग में देखा जाए तो तुम्हारे शत्रु वास्तव में तुम्हारे शत्रु नहीं हैं। बाहर से मित्र दिखते हुए मित्र तुम्हारे गहरे शत्रु हैं। वे तुम्हारा समय खा जाते हैं और तुम्हारी आध्यात्मिक पूँजी चूस लेते हैं, तुमको भी पता नहीं चलता। उनको भी पता नहीं होता कि हम अपने मित्र की आध्यात्मिक पूँजी बरबाद कर रहे है।
-Pujya Asharam Ji Bapu

953_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

मनुष्य जैसा सोचता है वैसा हो जाता है। मन कल्पतरू है। अतः सुषुप्त दिव्यता को, दिव्य साधना से जगाओ। अपने में दिव्य विचार भरो।
-Pujya Asharam Ji Bapu

Thursday, 6 December 2012

952_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

किसी भी चीज़ को ईश्वर से अधिक मूल्यवान मत समझो |
-Pujya Asharam Ji Bapu

951_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

वे ही महापुरूष बड़ा काम कर गये हैं, उन्होंने ही जगत का कल्याण किया है जिन्होंने एकान्त-सेवन किया है, जिन्होंने आत्म-विश्लेषण किया है, जिन्होंने तुच्छ वस्तुओं का आकर्षण छोड़कर, तुच्छ वस्तुओं की चिन्ता छोड़कर सत्य वस्तु का अनुसंधान किया है।
 -Pujya Asharam Ji Bapu