Wednesday, 31 October 2012
Monday, 29 October 2012
Sunday, 28 October 2012
886_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
शरद पूनम पर विशेस प्रयोग-
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कोई गुस्सैल अशांत हो तो :-
-Pujya asharam ji bapu
885_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
शरद पूनम की हार्दिक सुभकामनाये
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जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। जिनको दमे की बीमारी हो वे नजदीक के किसी आश्रम या समिति से सम्पर्क के साथ लेना। दमा मिटाने वाली बूटी निःशुल्क मिलती है, उसे खीर में डाल देना। जिसको दमा है वह बूटी वाली खीर खाये और घूमे, सोये नहीं, इससे दमे में आराम होता है। दूसरा भी दमा मिटाने का प्रयोग है। अंग्रजी दवाओं से दमा नहीं मिटता लेकिन त्रिफला रसायन 10-10 ग्राम सुबह शाम खाने से एक महीने में दमे का दम निकल जाता है।
इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग, कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है। -Pujya asharam ji bapu
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जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। जिनको दमे की बीमारी हो वे नजदीक के किसी आश्रम या समिति से सम्पर्क के साथ लेना। दमा मिटाने वाली बूटी निःशुल्क मिलती है, उसे खीर में डाल देना। जिसको दमा है वह बूटी वाली खीर खाये और घूमे, सोये नहीं, इससे दमे में आराम होता है। दूसरा भी दमा मिटाने का प्रयोग है। अंग्रजी दवाओं से दमा नहीं मिटता लेकिन त्रिफला रसायन 10-10 ग्राम सुबह शाम खाने से एक महीने में दमे का दम निकल जाता है।
इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग, कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है। -Pujya asharam ji bapu
884_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
आश्चिन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद
पूर्णिमा कहलाती है. वर्ष 2012 में शरद पूर्णिमा 29 अक्तूबर,दिन सोमवार की
रहेगी. इस पूर्णिमा को कोजोगार पूर्णिमा व्रत और रास पूर्णिमा भी कहा जाता
है . इस दिन चन्द्रमा व सत्य भगवान का पूजन, व्रत, कथा की जाती है. शरद
पूर्णिमा के विषय में विख्यात है, कि इस दिन कोई व्यक्ति किसी अनुष्ठान को
करें, तो उसका अनुष्ठान अवश्य सफल होता है.
तीसरे पहर इस दिन व्रत कर हाथियों की आरती करने पर उतम फल मिलते है. ज्योतिषिय नियमों के अनुसार इसी दिन चन्द्र अप
तीसरे पहर इस दिन व्रत कर हाथियों की आरती करने पर उतम फल मिलते है. ज्योतिषिय नियमों के अनुसार इसी दिन चन्द्र अप
नी
सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. कुछ क्षेत्रों में इस व्रत को कौमुदी
व्रत भी कहा जाता है. इस दिन के संदर्भ में एक मान्यता प्रसिद्ध है, कि इस
दिन भगवान श्री कृ्ष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था. इस दिन चन्द्रमा
कि किरणों से अमृ्त वर्षा होने की किवदंती प्रसिद्ध है. इसी कारण इस दिन
खीर बनाकर रत भर चांदनी में रखकर अगले दिन प्रात: काल में खाने का
विधि-विधान है.
घी मिश्रित खीर तैयार करे और बहुत-से पात्रों में डालकर उसे चन्द्रमा की चाँदनी में रखें। जब एक प्रहर (३ घंटे) बीत जाएँ, तब लक्ष्मीजी को सारी खीर अर्पण करें। तत्पश्चात भक्तिपूर्वक सात्विक ब्राह्मणों को इस प्रसाद रूपी खीर का भोजन कराएँ और उनके साथ ही मांगलिक गीत गाकर तथा मंगलमय कार्य करते हुए रात्रि जागरण करें।
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शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्त्व है। इस रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत-तत्त्व बरसता है। चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषकशक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है।
आज की रात्रि चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है और उसकी उज्जवल किरणें पेय एवं खाद्य पदार्थों में पड़ती हैं तो उसे खाने वाला व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। उसका शरीर पुष्ट होता है। भगवान ने भी कहा हैः
पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।
'रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूँ।' (गीताः15.13)
आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो चन्द्र का मतलब है शीतलता। बाहर कितने भी परेशान करने वाले प्रसंग आयें लेकिन आपके दिल में कोई फरियाद न उठे। आप भीतर से ऐसे पुष्ट हों कि बाहर की छोटी मोटी मुसीबतें आपको परेशान न कर सकें।
शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढँककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध-चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए। देर रात होने के कारण कम खायें, भरपेट न खायें, सावधानी बरतें। रात को फ्रिज में रखें या ठंडे पानी में ढँक के रखें। सुबह गर्म करके उपयोग कर सकते हैं। ढाई तीन घंटे चन्द्रमा की किरणों से पुष्ट यह खीर पित्तशामक, शीतल, सात्त्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है। इससे चित्त को शांति मिलती है और साथ ही पित्तजनित समस्त रोगों का प्रकोप भी शांत होता है।
इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना। एक आध मिनट आँखें पटपटाना। कम से कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी। और फिर ऐसा आसन बिछाना जो विद्युत का कुचालक हो, चाहे छत पर चाहे मैदान में। चन्द्रमा की तरफ देखते-देखते अगर मौज पड़े तो आप लेट भी हो सकते हैं। श्वासोच्छवास के साथ भगवन्नाम और शांति को भरते जायें, निःसंकल्प नारायण में विश्रान्ति पायें। ऐसा करते-करते आप विश्रान्ति योग में चले जाना। विश्रांति योग... भगवदयोग.... अंतरंग जप करते हुए अपने चित्त को शांत, मधुमय, आनंदमय, सुखमय बनाते जाना। हृदय से जपना प्रीतिपूर्वक। आपको बहुत लाभ होगा। कितना लाभ होगा, यह माप सकें ऐसा कोई तराजू नहीं है। वह तराजू आज तक बनी नहीं। ब्रह्माजी भी बनायें तो वह तराजू टूट जायेगा।
जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। जिनको दमे की बीमारी हो वे नजदीक के किसी आश्रम या समिति से सम्पर्क के साथ लेना। दमा मिटाने वाली बूटी निःशुल्क मिलती है, उसे खीर में डाल देना। जिसको दमा है वह बूटी वाली खीर खाये और घूमे, सोये नहीं, इससे दमे में आराम होता है। दूसरा भी दमा मिटाने का प्रयोग है। अंग्रजी दवाओं से दमा नहीं मिटता लेकिन त्रिफला रसायन 10-10 ग्राम सुबह शाम खाने से एक महीने में दमे का दम निकल जाता है।
इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग, कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।
घी मिश्रित खीर तैयार करे और बहुत-से पात्रों में डालकर उसे चन्द्रमा की चाँदनी में रखें। जब एक प्रहर (३ घंटे) बीत जाएँ, तब लक्ष्मीजी को सारी खीर अर्पण करें। तत्पश्चात भक्तिपूर्वक सात्विक ब्राह्मणों को इस प्रसाद रूपी खीर का भोजन कराएँ और उनके साथ ही मांगलिक गीत गाकर तथा मंगलमय कार्य करते हुए रात्रि जागरण करें।
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शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्त्व है। इस रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत-तत्त्व बरसता है। चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषकशक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है।
आज की रात्रि चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है और उसकी उज्जवल किरणें पेय एवं खाद्य पदार्थों में पड़ती हैं तो उसे खाने वाला व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। उसका शरीर पुष्ट होता है। भगवान ने भी कहा हैः
पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।
'रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूँ।' (गीताः15.13)
आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो चन्द्र का मतलब है शीतलता। बाहर कितने भी परेशान करने वाले प्रसंग आयें लेकिन आपके दिल में कोई फरियाद न उठे। आप भीतर से ऐसे पुष्ट हों कि बाहर की छोटी मोटी मुसीबतें आपको परेशान न कर सकें।
शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढँककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध-चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए। देर रात होने के कारण कम खायें, भरपेट न खायें, सावधानी बरतें। रात को फ्रिज में रखें या ठंडे पानी में ढँक के रखें। सुबह गर्म करके उपयोग कर सकते हैं। ढाई तीन घंटे चन्द्रमा की किरणों से पुष्ट यह खीर पित्तशामक, शीतल, सात्त्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है। इससे चित्त को शांति मिलती है और साथ ही पित्तजनित समस्त रोगों का प्रकोप भी शांत होता है।
इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना। एक आध मिनट आँखें पटपटाना। कम से कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी। और फिर ऐसा आसन बिछाना जो विद्युत का कुचालक हो, चाहे छत पर चाहे मैदान में। चन्द्रमा की तरफ देखते-देखते अगर मौज पड़े तो आप लेट भी हो सकते हैं। श्वासोच्छवास के साथ भगवन्नाम और शांति को भरते जायें, निःसंकल्प नारायण में विश्रान्ति पायें। ऐसा करते-करते आप विश्रान्ति योग में चले जाना। विश्रांति योग... भगवदयोग.... अंतरंग जप करते हुए अपने चित्त को शांत, मधुमय, आनंदमय, सुखमय बनाते जाना। हृदय से जपना प्रीतिपूर्वक। आपको बहुत लाभ होगा। कितना लाभ होगा, यह माप सकें ऐसा कोई तराजू नहीं है। वह तराजू आज तक बनी नहीं। ब्रह्माजी भी बनायें तो वह तराजू टूट जायेगा।
जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें। जिनको दमे की बीमारी हो वे नजदीक के किसी आश्रम या समिति से सम्पर्क के साथ लेना। दमा मिटाने वाली बूटी निःशुल्क मिलती है, उसे खीर में डाल देना। जिसको दमा है वह बूटी वाली खीर खाये और घूमे, सोये नहीं, इससे दमे में आराम होता है। दूसरा भी दमा मिटाने का प्रयोग है। अंग्रजी दवाओं से दमा नहीं मिटता लेकिन त्रिफला रसायन 10-10 ग्राम सुबह शाम खाने से एक महीने में दमे का दम निकल जाता है।
इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग, कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।
-Pujya asharam ji bapu
Saturday, 27 October 2012
883_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
क्रिया
में बन्धन
नहीं होता,
क्रिया के भाव
में बन्धन और
मुक्ति
निर्भर है।
कर्म में
बन्धन और
मुक्ति नहीं,
कर्त्ता के
भाव में बन्धन
और मुक्ति है।
कर्त्ता किस
भाव से कर्म
कर रहा है ? राग से
प्रेरित होकर कर
रहा है ?
द्वेष से
प्रेरित होकर
कर रहा है ? वासना
से प्रेरित
होकर कर रहा
है ? .....कि
परमात्मा-स्नेह
से कर रहा है ?
-Pujya asharam ji bapu
Friday, 26 October 2012
881_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
पुण्य
संचय व ईश्वर
की कृपा का
फलः
ब्रह्मज्ञान
का दिव्य
सत्संग
"ईश्वर
की कृपा होती
है तो मनुष्य
जन्म मिलता है।
ईश्वर की
अतिशय कृपा
होती है तो
मुमुक्षत्व
का उदय होता
है परन्तु जब
अपने
पूर्वजन्मों के
पुण्य इकट्ठे
होते हैं और
ईश्वर की परम
कृपा होती है
तब ऐसा
ब्रह्मज्ञान
का दिव्य
सत्संग सुनने
को मिलता है,
जैसा
पूज्यपाद बापूजी
के श्रीमुख से
आपको यहाँ
सुनने को मिल
रहा है।"-Pujya asharam ji bapu
Thursday, 25 October 2012
Wednesday, 24 October 2012
878_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
जैसे
हरी लता पर
बैठने वाला
कीड़ा लता की
भाँति हरे रंग
का हो जाता है,
उसी प्रकार
विषय-विकार
एवं कुसंग से
मन मलिन हो
जाता है।
इसलिए
विषय-विकारों
और कुसंग से
बचने के लिए
संतों का संग
अधिकाधिक
करना चाहिए।
कबीर जी ने
कहाः
संगत
कीजै साधु की,
होवे दिन-दिन
हेत।
साकुट
काली कामली,
धोते होय न
सेत।।
कबीर
संगत साध की,
दिन-दिन दूना
हेत।
साकत
कारे कानेबरे,
धोए होय न
सेत।।
अर्थात्
संत-महापुरूषों
की ही संगति
करनी चाहिए क्योंकि
वे अंत में
निहाल कर देते
हैं। दुष्टों
की संगति नहीं
करनी चाहिए
क्योंकि उनके
संपर्क में
जाते ही
मनुष्य का पतन
हो जाता है।
संतों
की संगति से
सदैव हित होता
है, जबकि दुष्ट
लोगों की
संगति गुणवान
मनुष्यों का
भी पतन हो
जाता है।
-Pujya asharam ji bapu
877_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
जैसे बचपन
की बुद्धि
आपको अब छोटी
लगती है ऐसे
ही जब भगवान
बुद्धियोग
देंगे तब आज
की बुद्धि भी
आपको बचकानी
लगेगी। दो
पाँच लाख मिल
गये, राजी हो
गये। दो-पाँच
लाख चले गये,
दुःखी हो गये।
जब बुद्धियोग
मिलेगा तब पता
चलेगा कि यह
भी एक बाल्यावस्था
है।
न
खुशी अच्छी है
न मलाल अच्छा
है।
यार
जिसमें रख दे
वह हाल अच्छा
है।।
हमारी
न आरजू है न
जुस्तजू है।
हम
राजी हैं
उसमें जिसमें
तेरी रजा है।।
ऐसी समता
की ऊँचाई पर
आदमी पहुँच
जाता है।
-Pujya asharam ji bapu
Tuesday, 23 October 2012
876_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
यह भी बीत जायेगी
सुख में फूलो मत । दुःख में निराश न बनो । सुख और दुःख दोनों ही बीत जायेंगे । कैसी भी परिस्थिति आये उस समय मन को याद दिलायें कि यह भी बीत जायेगी ।-Pujya asharam ji bapu
874_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
प्रसन्नता और समता
प्रसन्नता बनाये रखने और उसे बढ़ाने का एक सरल उपाय यह है कि सुबह अपने कमरे में बैठकर जोर-से हँसो । आज तक जो सुख-दु:ख आया वह बीत गया और जो आयेगा वह बीत जायेगा । जो होगा, देखा जायेगा । आज तो मौज में रहो । भले झूठमूठ में ही हँसो । ऐसा करते करते सच्ची हँसी भी आ जायेगी । उससे शरीर में रक्त-संचरण ठीक से होगा । शरीर तंदुरुस्त रहेगा । बीमारियाँ नहीं सतायेंगी और दिन भर खुश रहोगे तो समस्याएँ भी भाग जायेंगी या तो आसानी से हल हो जायेंगी-Pujya asharam ji bapuMonday, 22 October 2012
Sunday, 21 October 2012
Saturday, 20 October 2012
Friday, 19 October 2012
Thursday, 18 October 2012
Tuesday, 16 October 2012
Monday, 15 October 2012
Sunday, 14 October 2012
831_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
सबका मंगल, सबका भला हो…
अगर आपके मन में किसी के लिए बुरे विचार आते हैं, तो सामनेवाले का अहित हो या न हो परंतु आपका अंत:करण जरुर मलिन हो जायेगा । फलस्वरूप मन में अशांति उत्पन्न होगी जो सब दु:खों का कारण है ।
यदि आपके मन में किसीके प्रति ईर्ष्या होती है, तो उसके पास जाकर कह दें कि “मुझे माफ करें, आपको देखकर मुझे ईर्ष्या होती है । आप भी प्रार्थना करें और मैं भी प्रार्थना करुँ ताकि आपके प्रति मेरी ईर्ष्या मिट जाय |”
-Pujya asharam ji bapu