Saturday 16 June 2012

607_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

शोषणं पापपंकस्य दीपनं ज्ञानतेजसः |
गुरोः पादोदकं सम्यक् संसारार्णवतारकम् ||

श्री गुरुदेव का चरणामृत पापरूपी कीचड़ का सम्यक् शोषक है, ज्ञानतेज का सम्यक् उद्यीपक है और संसारसागर का सम्यक तारक है | (25)
 श्री गुरुगीता

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