Friday, 28 June 2013

1138_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

यत्तदग्रे विषमिव परिणामेऽमृतोपमम्।
तत्सुखं सात्त्विकं प्रोक्तमात्मबुद्धि प्रसादजम।।


जो आरम्भकाल में विष के तुल्य प्रतीत होता है परन्तु परिणाम में अमृत के तुल्य है वह परमात्म विषयक बुद्धि के प्रसाद से उत्पन्न होने वाला सुख सात्त्विक कहा गया है।
(भगवद् गीता)

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...