Monday 17 June 2013

1129_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

 ब्रह्माकार वृत्ति में स्थित हुए महात्माओं के दर्शन की महिमा का वर्णन करते हुए संत कबीर ने कहा हैः
अलख पुरुष की आरसी साधु का ही देह।
लखा जो चाहे अलख को इन्हीं में तू लख ले।।
'परमात्मा के साथ एकरूप हो गये ब्रह्म-साक्षात्कारी महापुरुष की देह एक दर्पण के समान है, जिसमें आप अलख पुरुष (परमात्मा) के दर्शन कर सकते हो।'
गुरु नानक जी ने भी संतो की महिमा का वर्णन करते हुए कहा हैः
संत की महिमा वेद न जाने।
जेता जाने तेता बखाने।।
संसार का सच्चा कल्याण संतों के द्वारा ही हो सकता है। ऐसे महापुरुषों का पूरा जीवन ही 'बहुजनहिता बहुजनसुखाय' होता है।

 -Pujya Asharam Ji Bapu

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