यदि तुमने
शरीर के साथ अहंबुद्धि
की तो तुममें
भय व्याप्त हो
ही जायेगा,
क्योंकि शरीर
की मृत्यु
निश्चित है।
उसका परिवर्तन
अवश्यंभावी
है। उसको तो
स्वयं ब्रह्माजी
भी नहीं रोक
सकते। परन्तु
यदि तुमने अपने
आत्मस्वरूप
को जान लिया,
स्वरूप में तुम्हारी
निष्ठा हो गयी
तो तुम निर्भय
हो गये,
क्योंकि
स्वरूप की
मृत्यु कभी
होती नहीं।
मौत भी उससे
डरती है।
-Pujya Asharam Ji Bapu
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