'श्री सुखमनी
साहिब' में ब्रह्मज्ञानी
की महिमा का
वर्णन करते
हुए कहा गया
हैः
ब्रह्म गिआनी
का कथिआ न जाइ अधाख्यरु।।
ब्रह्म गिआनी
सरब का ठाकुरु।।
ब्रह्म गिआनी
कि मिति कउनु
बखानै।।
ब्रह्म गिआनी
की गति ब्रह्म
गिआनी जानै।।
'ब्रह्मज्ञानी के बारे
में आधा अक्षर
भी नहीं कहा
जा सकता है।
वे सभी के
ठाकुर हैं।
उनकी मति का
कौन बखान करे? ब्रह्मज्ञानी
की गति को
केवल ब्रह्मज्ञानी
ही जान सकते
हैं।'
ऐसे ब्रह्म
ज्ञानी के,
ऐसे अनंत-अनंत
ब्रह्माण्डों
के शाह के
व्यवहार की
तुलना किस
प्रकार, किसके
साथ की जाय?
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