गुरु से
फरियाद न करो,
उनके आगे
समर्पण करो।
फरियाद से तुम
उनसे लाभ लेने
से वंचित रह
जाओगे। उनका
हृदय तो ऐसा निर्मल
है कि जैसी
उनमें भावना करोगे,
वैसा ही लाभ
होगा। तुम
उनमें दोषदृष्टि
करोगे तो
दोषी बनोगे, गुणग्राहक
दृष्टि करोगे
तो उनके गुण
तुममें
आयेंगे और
उनको त्रिगुणातीत
मानकर उनके
आज्ञापालन
में चलोगे तो
स्वयं भी गुणों
से एक दिन पार
हो जाओगे।
-Pujya Asharam Ji Bapu

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