Friday, 9 December 2016

1546-जरा इस पर विचार करे ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper

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Pujya Asaram Bapu Ji  Hd Wallpaper

जरा इस पर विचार करे ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

किसी से कोई पूछे कि तुम खूनमें , हड्डियों में , मांस में , मज्जा में, मूत्र में रहना चाहते हो ? तो सभी
विचारषील यही कहेंगे कि नहीं रहना चाहते। कारण कि मलिनता किसी को प्रिय नहीं । अब हम स्वयं सोचें
कि देह में मलिनता के अतिरिक्त क्या है, तो मानना होगा कि कुछ नहीं।


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सिद्धि का लक्ष्य  ( प्रेरक कहानी ) 


🍒 साधना और साध्य का अंतर समझने के लिए गौतम बुद्ध एक अख्यान का सहारा लिया करते थे। वे अपने शिष्यों को अनेक बार कहानी सुनाते थे-‘एक गाँव के कुछ लोग नदीं पार जाने के लिए नाव पर चढ़े। वे कुल आठ लोग थे। धार्मिक प्रकृति के थे। कुछ देर के बाद वे दूसरे किनारे पर पहुँच गए। नाव से उतरकर उन्होंने तय किया कि जिस नाव ने हमें नदी पार कराई है, ऐसा करके उसने हम पर एक प्रकार से उपकार किया है।

🍒 अतः उसे हम कैसे छोड़ सकते हैं। इसलिए उन्होंने कृतज्ञता-ज्ञापन का एक अद्भुत तरीका खोज निकाला। उन्होंने कहा कि उचित यही होगा कि जिस नाव पर हम सवार थे, अब वह हम पर सवार हो जाए। सो उन आठों ने नाव को अपने सिर पर उठा लिया और चल दिए। वे बाजारों, सड़कों तथा गलियों से गुजरे। देखनेवाले कहते कि ‘हमने नाव पर सवार तो कई लोगों को देखा है, लेकिन नाव को लोगों पर सवार कभी नहीं देखा। ये लोग कैसे सिरफिरे हैं, जो नाव को सिर पर ढो रहे है !’

🍒 किंतु वे आठों तो स्वयं को अक्लमंद समझते थे। उन्होंने जवाब दिया, ‘तुम सब तो कृतघ्न हो। तुम्हें कृतज्ञता का क्या पता ? हम जानते हैं अनुग्रह का भाव। हम कृतज्ञ हैं, हम आभार-प्रदर्शन करना जानते हैं। इस नाव ने हमें नदी पार करवाई है। अब हम इस नाव को स्वयं अपने सिर पर ढोकर संसार पार करवाकर रहेंगे। हम इस पर सवार थे, अब यह हम पर सवार रहेगी।’

🍒 अंत में गौतम बुद्ध ने शिष्यों को समझाया कि ‘‘नाव तो वास्तव में नदी पार करवाने के लिए होती है, सिर पर ढोने के लिए नहीं। बहुत लोग साधन या साधना को इस तरह पकड़ लेते हैं कि वही साध्य हो जाती है। इस प्रकार हम सिद्धि का लक्ष्य भूल जाते हैं।’’ 

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