Saturday, 10 December 2016

1547-शरीर को रुचि पूर्त्ति का साधन बनाओगे तो होगी महान हानि ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper


शरीर को रुचि पूर्त्ति का साधन बनाओगे तो होगी महान हानि ❘❘ Pujya Asaram Bapu Ji ❘❘ 

जो लोग यह सोचते हैं कि शरीर  हमारी रुचि पूर्त्ति का साधन है, वे कभी भी शांति नहीं पाते। उनको
कहीं भी, कभी भी शांति  नहीं मिलती । शरीर है सेवा सामग्री ।

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भिन्न-भिन्न दिशाओं से आने वाली हवा का स्वास्थ्य पर प्रभाव


🌴  पूर्व दिशा की हवाः भारी, गर्म, स्निग्ध, दाहकारक, रक्त तथा पित्त को दूषित करने वाली होती है। परिश्रमी, कफ के रोगों से पीड़ित तथा कृश व दुर्बल लोगों के लिए हितकर है। यह हवा चर्मरोग, बवासीर, कृमिरोग, मधुमेह, आमवात, संधिवात इत्यादि को बढ़ाती है।

🌴 दक्षिण दिशा की हवाः खाद्य पदार्थों में मधुरता बढ़ाती है। पित्त व रक्त के विकारों में लाभप्रद है। वीर्यवान, बलप्रद व आँखों के लिए हितकर है।

🌴 पश्चिम दिशा की हवाः तीक्ष्ण, शोषक व हलकी होती है। यह कफ, पित्त, चर्बी एवं बल को घटाती है व वायु की वृद्धि करती है।

🌴 उत्तर दिशा की हवाः शीत, स्निग्ध, दोषों को अत्यन्त कुपित करने वाली, स्निग्धकारक व शरीर में लचीलापन लाने वाली है। स्वस्थ मनुष्य के लिए लाभप्रद व मधुर है।

🌴 अग्नि कोण की हवा दाहकारक एवं रूक्ष है। नैऋत्य कोण की हवा रूक्ष है परंतु जलन पैदा नहीं करती। वायव्य कोण की हवा कटु और ईशान कोण की हवा तिक्त है।

🌴 ब्राह्म मुहूर्त (सूर्योदय से सवा दो घंटे पूर्व से लेकर सूर्योदय तक का समय) में सभी दिशाओं की हवा सब प्रकार के दोषों से रहित होती है। अतः इस वेला में वायुसेवन बहुत ही हितकर होता है।

🌴खस, मोर के पंखों तथा बेंत के पंखों की हवा स्निग्ध एवं हृदय को आनन्द देने वाली होती है।

जो लोग अन्य किसी भी प्रकार की कोई कसरत नहीं कर सकते, उनके लिए टहलने की कसरत बहुत जरूरी है। इससे सिर से लेकर पैरों तक की करीब 200 मांसपेशियों की स्वाभाविक ही हलकी-हलकी कसरत हो जाती है। टहलते समय हृदय की धड़कन की गति 1 मिनट में 72 बार से बढ़कर 82 बार हो जाती है और श्वास भी तेजी से चलने लगता है, जिससे अधिक आक्सीजन रक्त में पहुँचकर उसे साफ करता है।

ऋषि प्रसाद, अगस्त 2010

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