Thursday, 22 December 2016

1554-सर्वोत्तम काल कौन सा ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper


सर्वोत्तम काल कौन सा ( Pujya Asaram Bapu Ji ) Hd Wallpaper


वर्तमान समय को सबसे उत्तम समझो । क्योंकि वर्तमानके सँभल जानेसे बिगड़ा हुआ भूत और
आनेवाला भविष्य अपने आप सँभल जाता है।


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बुराई से मुक्ति (बोधकथा)


अक्सर लोग गुरुनानक देव जी  के पास आते और अपनी समस्याएं उनको बताकर समाधान चाहते। एक डाकू रोज डाका डालता, लेकिन धीरे-धीरे वह अपने इस जीवन से परेशान हो गया। वह डाका डालने से ग्लानि महसूस करने लगा। एक दिन वह गुरुनानक के पास गया और उनके चरणों में गिर कर बोला, ‘महाराज, मैं अपने जीवन से तंग आ गया हूं। जाने कितनों को मैंने लूट कर दुखी किया है। आप ही मुझे कोई रास्ता बताइए, जिससे मैं इस बुराई से बच सकूं।’ नानक जी  बोले, ‘इसमें कौन-सी बड़ी बात है? तुम बुराई करना छोड़ दो तो उससे बच जाओगे।’

डाकू ने उनकी बात सुनी और कहा, ‘अच्छी बात है। मैं कोशिश करूंगा।’ थोड़े दिन बाद वह पुनः लौट कर गुरुनानक के पास आया और बोला, ‘गुरुजी, मैंने बुराई को छोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन नहीं छोड़ पाया। मैं अपनी आदत से लाचार हूं। मुझे और कोई रास्ता बताएं। कोई भी बुराई हो या आदत, इतना आसान नहीं होता उससे मुक्ति पाना।’ उसकी भावना को देखते हुए गुरुनानक ने कहा, ‘ऐसा करो कि तुम्हारे मन में जो भी बात उठे, उसे कर डालो, लेकिन हर दिन उसे दूसरे लोगों से जरूर कह दो।’

डाकू बहुत खुश हुआ कि अब वह बेधड़क डाका डालेगा और दूसरों से कह कर मन हल्का कर लेगा। कुछ दिन बीतने के बाद वह फिर गुरुनानक जी  के पास पहुंचा और बोला, ‘गुरुजी, बुरा काम करना जितना मुश्किल है, उससे कहीं अधिक मुश्किल है दूसरों के सामने अपनी बुराइयों को कहना। इसलिए दोनों में से मैंने सबसे आसान रास्ता चुना है और डाका डालना ही छोड़ दिया है।’ बुराइयों को स्वीकार करने से बेहतर उनका त्याग है। बुराइयों को स्वीकार से मन हल्का तो होता है, लेकिन अपराध भाव से पूर्ण रूप से मुक्ति नहीं मिल पाती। पूर्ण मुक्ति त्याग में ही निहित है।


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