गुरू का ध्यान
गुरू के स्वरूप का ध्यान करो। ध्यान के दौरान आपको दिव्य आत्मिक आनन्द, रोमांच, शान्ति आदि का अनुभव होगा। कुण्डलिनी शक्ति जागृत होगी, हृदय भाव-विभोर होगा। रोमांच, शान्ति, आदि का अनुभव होगा। रोमांच, हृदय, रूदन आदि अष्टसात्त्विक भाव में आपका मन विचरण करने लगेगा। शिष्य को गुरूमुखता की यह निशानी है। फिर आपको साधना करनी नहीं पड़ेगी, साधना अपने आप होने लगेगी।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram
गुरू के स्वरूप का ध्यान करो। ध्यान के दौरान आपको दिव्य आत्मिक आनन्द, रोमांच, शान्ति आदि का अनुभव होगा। कुण्डलिनी शक्ति जागृत होगी, हृदय भाव-विभोर होगा। रोमांच, शान्ति, आदि का अनुभव होगा। रोमांच, हृदय, रूदन आदि अष्टसात्त्विक भाव में आपका मन विचरण करने लगेगा। शिष्य को गुरूमुखता की यह निशानी है। फिर आपको साधना करनी नहीं पड़ेगी, साधना अपने आप होने लगेगी।
- Sri Swami Sivananda
Guru Bhakti Yog, Sant Shri Asharamji Ashram

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