~~~~~ अहम ब्रह्मास्मि ~~~~~
मैं सब हूँ।मैं विशाल आकाश की नाईं सर्वव्यापक हो रहा हूँ। मैं चिदाकाश-स्वरूप हूँ। सूर्य और चाँद मुझमें लटक रहे हैं। सब तारे मुझमें टिमटिमा रहे हैं इतना मैं विशाल हूँ। कई राजा-महाराजा इस आकाशस्वरूप चैतन्य में आ-आकर चले गये। मैं वह आकाश हूँ। मैं सर्वव्यापक हूँ। मैं कोई परिस्थिति नहीं हूँ लेकिन सब परिस्थितियों को पहचाननेवाला आधारस्वरूप आत्मा हूँ। आनन्द और शान्ति मेरा अपना स्वभाव है।इस प्रकार अपनी वृत्ति को विशाल... विशाल गगनगामी होने दो।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
मैं सब हूँ।मैं विशाल आकाश की नाईं सर्वव्यापक हो रहा हूँ। मैं चिदाकाश-स्वरूप हूँ। सूर्य और चाँद मुझमें लटक रहे हैं। सब तारे मुझमें टिमटिमा रहे हैं इतना मैं विशाल हूँ। कई राजा-महाराजा इस आकाशस्वरूप चैतन्य में आ-आकर चले गये। मैं वह आकाश हूँ। मैं सर्वव्यापक हूँ। मैं कोई परिस्थिति नहीं हूँ लेकिन सब परिस्थितियों को पहचाननेवाला आधारस्वरूप आत्मा हूँ। आनन्द और शान्ति मेरा अपना स्वभाव है।इस प्रकार अपनी वृत्ति को विशाल... विशाल गगनगामी होने दो।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
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