1245_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
कर्मयोगी गंगा की तरह कर्म करता है और ज्ञानी हिमालय की तरह । अर्थात मनुष्य के कर्म में भाव की प्रधानता होती है और ज्ञानी के कर्म मे ज्ञान की प्रधानता होते है या ज्ञान ही ज्ञान होता है ।
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
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