पूजा करते
हैं ठाकुरजी
की, मंदिर में
जाते हैं,
मस्जिद में
जाते हैं,
गिरजाघर में
जाते हैं लेकिन
चित्त का
निर्माण नहीं
करते हैं तो
संसारयात्रा
का अन्त नहीं
आता।
चित्त का अज्ञान से निर्माण हुआ इसीलिए यह जगत सत्य भासता है और जरा-जरा सी बातें सुख-दुःख, आकर्षण, परेशानी देकर हमें नोंच रही हैं।
ध्यान के
द्वारा, सत्संग
के द्वारा
चित्त का ठीक
रूप में निर्माण
करना है,
चित्त का
परिमार्जन
करना है।चित्त का अज्ञान से निर्माण हुआ इसीलिए यह जगत सत्य भासता है और जरा-जरा सी बातें सुख-दुःख, आकर्षण, परेशानी देकर हमें नोंच रही हैं।
-Pujya Asharam Ji Bapu
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