श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं
तत्परः संयतेन्द्रियः
।
अर्थात्
जितेन्द्रिय, तत्पर
हुआ
श्रद्धावान
पुरुष ज्ञान
को प्राप्त होता
है।
ऐसा
कौन-सा मनुष्य
है जो संयम और
श्रद्धा के द्वारा
भवसागर से
पार न हो सके ? उसे
ज्ञान की
प्राप्ति न हो
? परमात्म-पद
में स्थिति न
हो?
-Pujya Asharam Ji Bapu
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