~~~~ फकीर ~~~~
जिसके जीवन में सच्चा प्रेम आ जाता है उसका आचरण भी बदल जाता है बाहर से उसे फिर दिखावा करने की जरुरत नहीं पड़ती
उसे अपने शरीर का होश नहीं है, कैसा भी वस्त्र मिला पहनलिया, कैसा भी रुखा-सुखा मिला खा लिया, उसकी न ही खुद की कोई इच्छा है, न ही किसी से कोई उम्मीद, उसने न ही किसी से कुछ लेना है, न ही किसी को कुछ देना है, उसके पास जो कुछ है वो उसने पहले ही प्रभु को समर्पित कर दिया है वो खाली है, फकीर है बस जपता रहता है प्रभु का नाम.....
बस उसी की तड़प... उसी की चिंता... उसी की लगन... उसी की प्यास
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
जिसके जीवन में सच्चा प्रेम आ जाता है उसका आचरण भी बदल जाता है बाहर से उसे फिर दिखावा करने की जरुरत नहीं पड़ती
उसे अपने शरीर का होश नहीं है, कैसा भी वस्त्र मिला पहनलिया, कैसा भी रुखा-सुखा मिला खा लिया, उसकी न ही खुद की कोई इच्छा है, न ही किसी से कोई उम्मीद, उसने न ही किसी से कुछ लेना है, न ही किसी को कुछ देना है, उसके पास जो कुछ है वो उसने पहले ही प्रभु को समर्पित कर दिया है वो खाली है, फकीर है बस जपता रहता है प्रभु का नाम.....
बस उसी की तड़प... उसी की चिंता... उसी की लगन... उसी की प्यास
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
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