जब आप ईर्ष्या, द्वेष, छिद्रान्वेषण, दोषारोपण, घृणा और निन्दा के विचार किसीके प्रति भेजते हैं तब साथ-ही-साथ वैसे ही विचारों को आमंत्रित भी करते हैं | जब आप अपने भाई की आँख में तिनका भोंकते हैं तब अपनी आँख में भी आप ताड़ भोंक रहे हैं |
-Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu
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