668_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
हरिरस
को, हरिज्ञान
को,
हरिविश्रान्ति
को पाये बिना
जिसको बाकी सब
व्यर्थ व्यथा
लगती है, ऐसे
साधक की अनन्य
भक्ति जगती
है। जिसकी
अनन्य भक्ति
है भगवान में,
जिसका अनन्य
योग हो गया है उसको
जनसंपर्क में
रूचि नहीं
रहती।
सामान्य इच्छाओं
को पूर्ण करने
में, सामान्य
भोग भोगने में
जो जीवन नष्ट
करते है, ऐसे
लोगों में
सच्चे भक्त को
रूचि नहीं
होती।
Pujya Asharam Ji Bapu
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