667_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
इच्छा
मात्र, चाहे
वह राजसिक हो
या सात्त्विक हो,
हमको अपने
स्वरूप से दूर
ले जाती है।
ज्ञानवान
इच्छारहित पद
में स्थित
होते हैं।
चिन्ताओं और
कामनाओं के
शान्त होने पर
ही स्वतंत्र
वायुमण्डल का
जन्म होता है।
Pujya Asharam Ji Bapu
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