650_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
परमात्मा हृदय में ही विराजमान है। लेकिन अहंकार बर्फ की सतह की तरह आवरण बनकर खड़ा है। इस आवरण का भंग होते ही पता चलता है कि मैं और परमात्मा कभी दो न थे, कभी अलग न थे।
Pujya Asharam Ji Bapu
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