रोज प्रातः काल उठते ही ॐकार का गान करो | ऐसी भावना से चित्त को सराबोर कर दो कि : ‘मैं शरीर नहीं हूँ | सब प्राणी, कीट, पतंग, गन्धर्व में मेरा ही आत्मा विलास कर रहा है | अरे, उनके रूप में मैं ही विलास कर रहा हूँ | ’ भैया ! हर रोज ऐसा अभ्यास करने से यह सिद्धांत हृदय में स्थिर हो जायेगा |
Pujya Asharam Ji Bapu
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