619_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU
श्री वशिष्ठ
जी महाराज कहते
हैं- 'हे राम
जी!
तृष्णावान के
हृदय में संत
के वचन नहीं
ठहरते।
तृष्णावान से तो
वृक्ष भी भय
पाते हैं'
इच्छा-वासना-तृष्णा
आदमी की
बुद्धि को दबा
देती है
Pujya Asharam Ji Bapu
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