Friday, 22 June 2012

619_THOUGHTS AND QUOTES GIVEN BY PUJYA ASHARAM JI BAPU

श्री वशिष्ठ जी महाराज कहते हैं- 'हे राम जी! तृष्णावान के हृदय में संत के वचन नहीं ठहरते। तृष्णावान  से तो वृक्ष भी भय पाते हैं' इच्छा-वासना-तृष्णा आदमी की बुद्धि को दबा देती है
Pujya Asharam Ji Bapu 

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...